दारोगा तारबाबू तरुण मूलत: जनपद फिरोजाबाद की कोतवाली टूंडला के गांव नगला सोना निवासी थे। दो दिन पहले ही जनपद कानपुर नगर से यहां तबादले पर आये थे। यहां पुलिस लाइन में अपनी आमद करायी थी। पुत्र कमल कुमार भी उनके साथ आया था। दारोगा तारबाबू को सुबह पुलिस लाइन की जीप से केन्द्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ल की पीएसओ ड्यूटी पर भेजा गया था। उनके साथ हेड कांस्टेबल हरिशंकर, सिपाही दीपसिंह व कौशल एवं जीप चालक रामवीर सिंह भी थे।
यह लोग जिले की सीमा से सटे जनपद शाहजहांपुर थाना अल्लागंज के बरेली हाईवे स्थित हुल्लापुर चौराहा के निकट रुककर मंत्री के आने की प्रतीक्षा करने लगे। दारोगा पास में ही एक कबाड़ी की दुकान के सामने पेड़ की छांव में पड़ी कुर्सी पर बैठकर किसी से मोबाइल पर बात करने लगे। कुछ देर बाद वह उठकर पीछे गये और अपनी सर्विस रिवाल्वर से सिर में गोलियां मार ली। इसके बाद साथी पुलिस कर्मचारी उन्हें लेकर लोहिया अस्पताल आये। डॉ. ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।
फायर की आवाज सुनकर कबाडी की दुकान पर बैठे लोग चीख पड़े। इस पर साथी सिपाही भागकर मौके पर पहुंचे तो दारोगा तारबाबू खून से लथपथ पड़े थे। सिपाहियों ने फोन से अधिकारियों को सूचना दी और घायल दारोगा को जीप से लोहिया अस्पताल लेकर आये। वहां डाक्टर मनोज पान्डेय ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। सूचना पर उनका पुत्र भी अस्पताल आ गया।
दारोगा किन्हीं कारणवष सस्पेंड कर दिए गए थे। तीन दिन पहले ही उन्हें मंत्री की ड्यूटी मेें लगाया गया था। घटना की जानकारी को लेकर पत्रिका दारोगा के घर पहुंची जहां मृतक के परिजनों ने कुछ भी बोेलने से इंकार कर दिया। पत्नी को बीमार बताते हुुए कमरे में बंद कर दिया और उन्हें कुछ भी नहीं बताया। मृतक के तीन पुत्र और तीन पुत्रियां हैं। इनमें से एक पुत्र और एक पुत्री शादी के लिए हैं।