मुहम्मद गौरी से शुरू हुई गुलामी की दास्तां
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि तराई के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चैहान को मुहम्मद गौरी ने हरा दिया था। मुहम्मद गौरी विदेशी था और आक्रमणकारी भी। जिन्होंने हमें गुलाम बनाया वह गुलाम वंश के थे। वह गुलाम वंश है जिसे दिल्ली सल्तनत कहा जाता है। मुहम्मद गौरी के कोई बेटा नहीं था। उसने अपने गुलाम कुतुबुद्दीन एबक को देश का बादशाह बनाया। कुतुबद्दीन एबक के भी कोई संतान नहीं थी। उसने अपने गुलाम इल्तुतमिश को बादशाह बनाया। इल्तुतमिश के बेटे नालायक थे इसलिए उसने अपनी बेटी रजिया को देेश का बादशाह बनाया। उसके बाद बलवन आए और उनके बाद खिलजी जिनमें मुहम्मद खिलजी, जलाजुद्दीन खिलजी, अलालुद्दीन खिलजी शाामिल रहे।
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि तराई के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चैहान को मुहम्मद गौरी ने हरा दिया था। मुहम्मद गौरी विदेशी था और आक्रमणकारी भी। जिन्होंने हमें गुलाम बनाया वह गुलाम वंश के थे। वह गुलाम वंश है जिसे दिल्ली सल्तनत कहा जाता है। मुहम्मद गौरी के कोई बेटा नहीं था। उसने अपने गुलाम कुतुबुद्दीन एबक को देश का बादशाह बनाया। कुतुबद्दीन एबक के भी कोई संतान नहीं थी। उसने अपने गुलाम इल्तुतमिश को बादशाह बनाया। इल्तुतमिश के बेटे नालायक थे इसलिए उसने अपनी बेटी रजिया को देेश का बादशाह बनाया। उसके बाद बलवन आए और उनके बाद खिलजी जिनमें मुहम्मद खिलजी, जलाजुद्दीन खिलजी, अलालुद्दीन खिलजी शाामिल रहे।
खिलजियों को तुगलकों ने हराया
तुगलकों ने आक्रमण कर खिलजियों को हरा दिया और अपना कब्जा कर लिया। तुलगकों को लोधियों ने हरा दिया। उसके बाद शेरशााह सूरी अफगानी यहां आया और उसके बाद बाबर आ गया। पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहीम लोधी को हराया गया। उन्होंने बताया कि 1527 में हमें गुलामी से आजादी मिल सकती थी। यहां से 50 किलोमीटर दूर खानवा का युद्ध हुआ था जिसमें राणा सांगा युद्ध लड़े थे। 11वीं शताब्दी में हुई गुलामी से 16वीं शताब्दी में आजादी मिल सकती थी लेकिन वह किसी कारणवश युद्ध हार गए। उसके बाद बाबर, हिमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब आए। उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर अंग्रेजों ने हम पर शासन कर लिया।
तुगलकों ने आक्रमण कर खिलजियों को हरा दिया और अपना कब्जा कर लिया। तुलगकों को लोधियों ने हरा दिया। उसके बाद शेरशााह सूरी अफगानी यहां आया और उसके बाद बाबर आ गया। पानीपत के पहले युद्ध में इब्राहीम लोधी को हराया गया। उन्होंने बताया कि 1527 में हमें गुलामी से आजादी मिल सकती थी। यहां से 50 किलोमीटर दूर खानवा का युद्ध हुआ था जिसमें राणा सांगा युद्ध लड़े थे। 11वीं शताब्दी में हुई गुलामी से 16वीं शताब्दी में आजादी मिल सकती थी लेकिन वह किसी कारणवश युद्ध हार गए। उसके बाद बाबर, हिमायूं, अकबर, जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब आए। उसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम पर अंग्रेजों ने हम पर शासन कर लिया।
1857 में हुए थे आजादी के प्रयास
उन्होंने कहा कि 1857 में आजादी के प्रयास हुए थे। जिसमें बहादुर शाह जफर और अंग्रेजों से युद्ध हुआ था लेकिन हार गए। उसके बाद 1947 में हमारे देश के मकान क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को गुुलामी की जंजीरोें सेे मुक्त कराया और हमें खुले मेें सांस मिल सकी।
उन्होंने कहा कि 1857 में आजादी के प्रयास हुए थे। जिसमें बहादुर शाह जफर और अंग्रेजों से युद्ध हुआ था लेकिन हार गए। उसके बाद 1947 में हमारे देश के मकान क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को गुुलामी की जंजीरोें सेे मुक्त कराया और हमें खुले मेें सांस मिल सकी।