मोरक्को की टीम 1986 में इससे पहले प्री-क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी। तब उसे वेस्ट जर्मनी ने हरा दिया था। दोनों टीमों ने निर्धारित 90 मिनट में बेहतरीन खेल दिखाया और एक दूसरे पर जमकर अटैक किए। लेकिन दोनों की डिफेंस मजबूत रही और कोई गोल नहीं हो सका। एक्स्ट्रा टाइम के समाप्त होने के बाद स्कोर 0-0 ही रहा। फिर मैच का नतीजा पेनल्टी शूटआउट से हुआ। पेनल्टी शूटआउट में मोरक्को ने पहले चार पेनल्टी शूट में तीन स्कोर किए। वहीं स्पेन एक भी स्कोर नहीं कर पाया।
इसी हार के साथ स्पेन ने एक शर्मनाक रिकॉर्ड भी आने नाम कर लिया है। स्पेन वर्ल्ड कप के किसी पेनल्टी शूटआउट में एक भी स्कोर नहीं करने वाली दूसरी टीम बन गई है। इससे पहले 2006 में स्विट्जलैंडर की टीम यूक्रेन के खिलाफ पेनल्टी शूटआउट में एक भी गोल नहीं कर सकी थी। स्पेन वर्ल्ड कप के इतिहास में सबसे ज्यादा चार पेनल्टी शूटआउट हारने वाला देश बन गया।
स्पेन 1986 में बेल्जियम से, 2002 में दक्षिण कोरिया से, 2018 में रूस से और इस साल मोरक्को से पेनल्टी शूटआउट में हारा है। अर्जेंटीना और जर्मनी ने सबसे ज्यादा चार-चार पेनल्टी शूटआउट जीते हैं। इस हार के साथ स्पेन की 2018 वर्ल्ड कप की बुरी यादें एक बार फिर ताज़ा हो गई है। 2018 में उन्हें रूस ने क्वार्टर फाइनल में हरारकर बाहर कर दिया था।
पहले हाफ में मोरक्को ने गोल के लिए तीन प्रयास किए हैं। सिर्फ एक ही टारगेट पर रहा। वहीं, स्पेन ने सिर्फ एक प्रयास किया और वह भी टारगेट पर नहीं रहा। बॉल पजेशन के मामले में आगे रहा है। उसने 69 फीसदी पजेशन अपने पास रखी है। पासिंग में भी वह मोरक्को पर भारी रहा है। स्पेन ने 372 पास किए हैं। वहीं, मोरक्को ने 161 पास किए हैं।