अकेले स्टीमाक का नाम किया प्रस्तावित
श्याम थापा की अध्यक्षता वाली समिति ने भारतीय फुटबॉल टीम के कोच पद के लिए सिर्फ इगोर स्टीमाक का नाम कार्यकारी समिति को मंजूरी के लिए भेजा है। इसके पक्ष में उन्होंने यह तर्क दिया है कि अन्य नामों की जरूरत तभी पड़ेगी, जब एआईएफएफ और क्रोएशियाई कोच के बीच सहमति न बन पाए।
अच्छा नहीं है कोचिंग करियर
समिति के एक अधिकारी ने जानकारी दी कि स्टीमाक की सिफारिश जरूर की गई, लेकिन मीटिंग में उनके कोचिंग करियर की सफलता दर पर कुछ गंभीर सवाल भी उठे। एक सदस्य ने तो क्रोएशियाई कोच पर यह भी टिप्पणी कर डाली कि वह तकनीकी रूप से सक्षम कम और पब्लिक रिलेशन एक्सपर्ट ज्यादा लगते हैं।
एक सदस्य चुने गए चारों कोचों की खूबियों और खामियों पूरी तैयारी के साथ आए थे। उन्होंने बैठक में कहा कि एक कोच के रूप में स्टीमाक की सफलता दर पिछले कुछ वर्षों में मात्र 30 प्रतिशत रही है। इसके जवाब में क्रोएशियाई कोच ने समिति से कहा कि वह हमेशा से अंडरडॉग टीमों के साथ खुद को जोड़ना पसंद करते हैं। यही वजह है कि उनकी सफलता का प्रतिशत कम है। उन्हें चुनौतियां पसंद है और इसी वजह से उन्होंने भारत का कोच बनने का आवेदन किया है।
भारतीय फुटबॉल की है काफी जानकारी
स्टीमाक के पक्ष में जो बात गई, वह यह थी कि उन्हें भारतीय खिलाड़ियों के बारे में काफी जानकारी थी। उनके पास 36 भारतीय खिलाड़ियों की सूची थी। वह हर खिलाड़ी को उसकी पोजिशन के साथ जानते थे। इतना ही नहीं, वह उसकी खूबियों और खामियों दोनों से अवगत थे। उन्हें यह भी पता था कि डिफेंडर अनस एडाथोडिका रिटायर हो चुके हैं और भारत को उस पोजिशन पर एक नए चेहरे की तलाश है। उनके इस होमवर्क से समिति काफी प्रभावित थी।
समिति के एक सदस्य ने बताया कि इगोर को इंडियन सुपर लीग (ISL) और आई-लीग के बारे में भी पता है। अपने साक्षात्कार के दौरान उन्होंने बताया कि भारतीय फुटबॉल को आगे ले जाने के लिए अच्छी स्काउटिंग की जरूरत है और यह आईएसएल और आई-लीग के जरिए किया जाएगा।
भारतीय सपोर्ट स्टॉफ के साथ काम करने को तैयार
स्टीमाक के पक्ष में एक और बात यह रही कि वह भारतीय सपोर्ट स्टाफ के साथ काम करने को तैयार थे, जबकि एल्बर्ट रोका अपने पसंद का सहायक कोच चाहते थे। स्टीमाक के साथ भारत के पूर्व कप्तान एस वेंकटेश अगले महीने होने वाले किंग्स कप के लिए टीम के सहायक कोच होंगे। इसके अलावा स्टीमाक क्रोएशिया की उस टीम का हिस्सा रह चुके हैं, जो 1998 विश्व कप में तीसरे पायदान पर रही थी।