तर्पण में पुरखों को जल देने के साथ जगह जगह तिथि श्राद्ध भी आयोजित किए जा रहे हैं। जिसमें बड़ी संख्या में लोग खासकर पंडितों को एक ही दिन अनेक जगह श्राद्ध कर्म में पहुंचकर भोजन करना होता है। श्राद्ध में श्रद्धा के अनुसार 11, 21, 51 आदि संख्या में ब्राह्मणों को भोज कराने की मान्यता है। इसके अलावा श्राद्ध आयोजनों में लोग अपने इष्ट मित्रों परिजनों को भी आमंत्रित करते हैं। अनेक लोग अपने दिवंगत पितरों की मुक्ति के लिए गया (बिहार) भी गए हैं, कहते हैं गयाजी में पिंडदान तर्पण से पूर्वजों को मुक्ति मिलती है। बहरहाल नगर से लेकर गांव गांव में पितृपक्ष में तर्पण-श्राद्ध का जोर है। लोग सामर्थ एवं श्रद्धा के अनुसार पितृ आराधना में लगे हैं।