दाऊदी बोहरा समाज ने मनाया यौमे आशूरा
गाडरवारा•Sep 20, 2018 / 06:56 pm•
ajay khare
moharram
गाडरवारा। मातमी पर्व मुहर्रम शहीदाने कर्बला की शान में मनाया जाता है। मुहर्रम से ही इस्लाम का नया वर्ष आरंभ होता है। आज मुहर्रम की दस तारीख को सुबह से लेकर देर रात तक मजमा रहेगा। सुबह बाद नमाज फजर ताजिए अपने मुकामों से संजय मार्केट के समक्ष एकत्र होंगे। जहां पर अकीदतमंद ताजियों की जियारत कर रेवड़ी, लोभान, अगरबत्ती खुश्बू पेश करेंगे। इसी मजमे में नगर के सभी इमामबाड़ों की सवारियां बाबाओं की आमद के साथ रन करते हुए अपनी हाजिरी पेश करेंगे। अलग लगी काफिलों में इमामबाड़ों का मजमा सवारियां पूरे नगर में गश्त करते हुए जनर आएंगी। जगह जगह छबील एवं लंगर वितरण होगा। खासकर संजय मार्केट वाले रास्ते पर भारी मजमे को देखते हुए पुलिस द्वारा भारी वाहनों का प्रवेश निषेध किया गया है। वहीं विशेष साफ सफाई नपा ने कराई है। जामा मस्जिद में हाफिज जुबेर आलम द्वारा 72 शहीदाने कर्बला की याद में तकरीर का बयान किया जा रहा है। मुस्लिम समाज द्वारा मुहर्रम की नौ एवं दस तारीख को रोजे भी रखे गए। सैयद बाबा दरबार में कर्बला शरीफ के रोजे की झांकी बनाई गई है। जो जनाकर्षण का केंद्र बनी रही।
आज यौमे आशुरा की नमाज भी पढ़ी जाएगी। मुहर्रम की दस तारीख के साथ आज जुमे का संयोग होने से मस्जिदों में नमाजियों की अधिक तादाद दिखेगी। सांप्रदायिक सदभाव की मिसाल गाडरवारा नगर में मुहर्रम के मजमे में सभी धर्म के लोग शिकरत एवं जियारत करते हैं। साथ ही कई हिंदू भाईओं की बाबाओं की आमद होती है तथा सवारी रखते एवं ताजिये बनाते हैं। आज दिन भर दरगाहों एवं इमामबाड़ों पर चादर संदल, निशान परचम तबर्रुक चढ़ाने का सिलसिला जारी रहेगा। चावड़ी पर रात्रि में बारहभाई इमामबाड़े में भी जायरीन जियारत करने पहुंचेंगे। वहीं बाद नमाज इशा सभी ताजिए अपने मुकामों से काफिलों के साथ चावड़ी बारहभाई इमामबाड़े के सामने एकत्र होंगे। यहां रात भर मजमा रहेगा। यहीं से सुबह फजर की नमाज के बाद सभी ताजिए कर्बला शरीफ रवाना होंगे। जहां शक्कर नदी छिड़ाव घाट पर भी कुछ देर मजमे के बाद ताजिए ठंडे होने प्रस्थान करेंगे।
दाऊदी बोहरा समाज ने मनाया यौमे आशूरा
स्थानीय दाऊदी बोहरा समाज ने प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी हजरत इमाम हुसैन, शहीदाने करबला की याद में यौमे आशूरा मनाया। स्थानीय झंडाचौक पर बोहरा समाज के सभी लोगों ने एकत्रित होकर बोहरा मस्जिद तक नोहा पढ़ते हुए एवं पुरजोश मातम करते हुए एक मातमी जुलूस निकाला। उस दौरान पूरा वातावरण या हुसैन या अब्बास या अली की सदाओं से गूंजता रहा। मोहर्रम पर्व पर अहमदाबाद से पधारे धर्मगुरु जनाब मुल्ला मोहम्मद द्वारा मुहर्रम की दो तारीख से आशूरा के दिन तक प्रतिदिन दोपहर एवं रात को स्थानीय बोहरा मस्जिद में यादे हुसैन में नोहा अबील व पुरजोश मातम कराया।
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