ये पालक हाईकोर्ट के नियम का हवाला देकर तो बात करते हैं मगर प्राचार्य हल्के में लेकर इसे टाल देते हैं प्राचार्यों का सिर्फएक ही कहना होता है कि हम ट्यूशन फीस के अलावा अन्य फीस नहीं ले रहे हैं। जबकि इनके ट्यूशन फीस में सभी फीस जुड़ी रहती है। वहीं निजी स्कूलों व्दारा फीस के दबाव को देखते हुए पालक अपने बच्चों की टीसी लेकर शासकीय विद्यालयों में प्रवेश ले रहे हैं।
पालकों ने यह भी कहा कि इस वैश्विक महामारी में आपके व्दारा निर्धारित बढ़ी हुई शिक्षण शुल्क एवं विद्यालय शुल्क का भुगतान पालकों के व्दारा किया जाना मुश्किल और असंभव है। इसके कारण शुल्क वृध्दि वापस लेकर पूर्व सत्र के अनुसार और विद्यालय शुल्क को माफकर विद्यार्थियों एवं पालकों के हित में होगा, जिसे ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाना उचित होगा।