सात नदियों के पार बसे डूमरघाट की त्रासदी, न तो सड़क, न बिजली और न ही अस्पताल
दो साल पहले प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह ने ग्राम डुमरघाट में बिजली लगाने का वायदा किया था लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक गांव में बिजली नहीं लग पायी है।
सात नदियों के पार बसे डूमरघाट की त्रासदी, न तो सड़क, न बिजली और न ही अस्पताल
गरियाबंद. दो साल पहले प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह ने ग्राम डुमरघाट में बिजली लगाने का वायदा किया था लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी अब तक गांव में बिजली नहीं लग पायी है। अब ग्रामीण फरियाद करे तो किससे करें, बिजली लगाने की मांग को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन आंदोलन भी कर चुके है, गांव में पहुंचने के लिए सड़क तक नहीं है स्वास्थ्य सुविधा का भगवान ही मालिक है।
गरियाबंद जिले के आदिवासी विकासखंड मैनपुर क्षेत्र के विभिन्न गांवो की स्थिति काफी दयनीय है और इन गावों में शासन की महत्वपूर्ण योजनाओं का लाभ लोगो को नही मिल पा रहा है। तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 12 किमी दूर बीहड़ जंगल के अंदर बसे कमार आदिवासी ग्राम डुमरघाट आज आजादी के 70 वर्षो बाद भी सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पेयजल जैसे बुनियादी सुविधाओ के लिये तरस रहा है। पढ़िए वृंदानवागढ़ से रूपेश साहू की ग्राउंड रिपोर्ट
ग्राम पंचायत बोईरगांव के आश्रित ग्राम डूमरघाट की जनसंख्या लगभग 500 के आसपास है और इस ग्राम तक पहुंचने के लिये अबतक पक्की सड़क तो दूर पगडंडीनुमा सड़क का निर्माण भी नही किया जा सका है, इस गांव मे दो रास्तो से होकर पहुंचा जा सकता है। एक रास्ता बरदूला से जंगल रास्ता होते महज 6 किमी मे पहुंचा जा सकता है और दूसरा रास्ता तौरेंगा कोदोमाली से होते हुए जो यहां से 28 किमी के आसपास है। इन दोनो रास्तो से डूमरघाट पहुंचने के लिये 6 से 7 बड़ी नदी नालो को पार करना पड़ता है।
और सडक़ का निमार्ण नही किया गया है घने जंगल को चीरते हुए बमुश्किल इस गांव मे पहुंचा जाता है। गांव वाले लंबे समय से सडक़ निर्माण के साथ नदी नालो मे पुल पुलिया की मांग कर रहे है क्योंकि इस गांव तक सडक़ नही होने के कारण न तो आला अधिकारी पहुंचते है और न ही कोई बड़े जनप्रतिनिधि जिसके चलते यह गांव विकास के क्रम में पिछड़ गया है और तो और सडक़ नही होने के कारण सबसे ज्यादा परेशानी इन्हे तबीयत खराब होने की स्थिति मे होती है गांव तक संजीवनी एक्सप्रेस 108 महतारी 102 वाहन भी नही पहुंच पाते है।
यहां कोई उपस्वास्थ्य केन्द्र भी नही है, लोक सुराज अभियान के दौरान ग्राम पंचायत बोईरगांव मे 9 मई 2016 को प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह अचानक हेलीकॉप्टर से पहुंचकर चौपाल लगाया था इस दौरान उन्होने यहां के ग्रामीणो से समस्या पूछा तो ग्रामीणों ने ग्राम डूमरघाट, बिजली लगाने की मांग किया था। तब मुख्यमंत्री ने इन ग्रामो मे छह माह के अंदर बिजली लगाने की घोषणा किया था, लेकिन इस ग्राम डूमरघाट मे बिजली आजतक नही लग पाई है ।
यहां के ग्रामीण रामदेव, जागेश्वर, मालती बाई ने बताया कि बिजली विभाग द्वारा सर्वे भी किया जा चुका है लेकिन अबतक बिजली नही लग पाई है और ग्रामीण लालटेन के भरोसे रात के अंधेरे से लड़ रहे है, ग्रामीणो का कहना है जब प्रदेश के मुखिया डॉ रमनसिंह के घोषणा के बाद अबतक बिजली नही लग पाई है तो अब किसके पास फरियाद करें? यह गांव अंधेरे के आगोश मे डूबा हुआ है और मिटटी तेल राशन, सामग्री खरीदने के लिये इन्हे पैदल आज भी मीलो दूरी तय कर बरदूला तक आना पड़ता है ।
तब कहीं जाकर गांव मे लालटेन जल पाती है, ग्राम डूमरघाट मे राजीव गांधी मिशन सर्व शिक्षा अभियान द्वारा मिडिल स्कूल भवन निर्माण के लिये आज से 10 वर्ष पहले 6 लाख रूपये शासन ने स्वीकृत किया था लेकिन अबतक स्कूल भवन का निर्माण कार्य अधूरा पडा हुआ है। मिडिल स्कूल के बच्चे प्राथमिक शाला मे पढाई करने मजबूर हो रहे है ।
यह भवन निर्माण कार्य कब पूरा होगा बताने वाला कोई नही है। लंबे समय से यहां के लोग मूलभूत बुनियादी सुविधाओं की मांग को लेकर कई बार आवेदन देकर थक चुके है लेकिन उनके समस्या को सुनने वाला कोई नही है।, इस गांव मे पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, सडक़, बिजली जैसे बुनियादी सुविधाओ के लिये लोग तरस रहे है।
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