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गरियाबंद

सालों से नदी में सब्जियों की फसल लगा रहे किसानों को भारी नुकसान, सरकार से की मुआवजे की मांग

इस साल भी भूमिहीन परिवार के निषादवर्ग के 35 किसानों ने नदी में सब्जियों का फसल दो महीने पहले लगाकर मेहनत शुरू कर दी थी

गरियाबंदDec 20, 2018 / 05:30 pm

चंदू निर्मलकर

Chhattisgarh news

सालों से नदी में सब्जियों की फसल लगा रहे किसानों को भारी नुकसान, सरकार से की मुआवजे की मांग

गरियाबंद/देवभोग. बेमौसम बारिश ने भूमिहीन किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। मायूस भूमिहीन किसानों ने तहसीलदार के पास आवेदन कर उचित मुआवजा दिए जाने की मांग की है। किसानों ने बताया कि उनके पास कृषि भूमि नहीं है, ऐसी स्थिति में उनके पूर्वज पिछले 35 सालों से नदी में ठंड के शुरुआती दौर से सब्जियों की फसल लेते हुए आ रहे है। इस साल भी भूमिहीन परिवार के निषादवर्ग के 35 किसानों ने नदी में सब्जियों का फसल दो महीने पहले लगाकर मेहनत शुरू कर दी थी।
किसानों की मेहनत रंग भी ला रही थी, सब्जियां भी होने लगी थी। इसी दौरान बेमौसम हुई बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। आज स्थिति यह है कि लगभग 70 एकड़ में लगाई सब्जियों का फसल पूरी तरह से चौपट हो गई है। वहीं, किसानों ने करीब तीन लाख के सब्जियों के फसल के खराब होने की बात तहसीलदार के सामने कहते हुए उचित मुआवजा दिए जाने की गुहार भी लगाई है।

दो महीने पहले से करते हैं मेहनत
किसानों ने बताया कि दो महीने पहले नदी के रेत को कुरलु चलाकर सब्जियों के बोआई के लायक बनाया जाता है। इसके निजाई करने के बाद पुन: रेत को पलटने का काम किया जाता है। वहीं दो से तीन दिनों बाद हल्का पानी छींटने का काम किया जाता है। शुरुआती दौर में रखरखाव करने के लिए करीब 15 से बीस दिनों तक परिवार के दो-दो सदस्य घेराव कर सब्जियों की रखवाली दिन रात करते हैं। सब्जियां लगाने के बाद मेहनत तीन से चार महीने तक लगातार चलता रहता है।

कर्ज लेकर लगाते हैं सब्जियों की फसल
किसान विधाधर निषाद, शंकर, लक्ष्मीलाल, देवनारायण ने बताया कि पिछले 35 सालों से नदी में सब्जियों के साथ ही तरबूज की फसल भी लेते आ रहे हैं। 35 सालों से तीन से चार महीने तक मेहनत करने के बाद उन्हें लागत से तीन गुना फायदा नदी में लगाई फसलों से हो जाता है। तुलसीराम और जयराम ने बताया कि हर साल वे यहां सब्जियां लगाने के लिए बीज उधारी में लेते हैं। इसके बाद सब्जियों को बेचने के बाद उसे चुकाते हैं। आवेदन देने पहुंचे 25 से ज्यादा भूमिहीन किसानों ने बताया कि हर किसान को लगभग 20 हजार रुपए खर्च करना पड़ता है। बीज से लेकर दवाई डालने के हर गतिविधि को मिलाकर कुल 20 हजार रूपए तक खर्च आता है। करीब 5 लाख रुपए की फसल का नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है।

भूमिहीन किसानों के द्वारा आवेदन किया गया है। आवेदन के आधार पर जांच करवाई जाएगी, वहीं जांच के उपरांत जो भी स्थिति सामने आएंगी, उसी के अनुसार उचित कदम उठाया जाएगा।
शरदचंद्र यादव, तहसीलदार, देवभोग

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