हर घर के दरवाजे में नंदी की पूजा की गई दूसरी तरफ भगवान श्रीसत्यनारायण की कथा। और इसी के साथ ग्रामीणों की एक टीम गांव के सरहद 12 किमी के दायरे तक घूमते हुए खेतों में पहुंचकर दूध की धार बहाते रही। और यह सब अच्छी फसल, गांव में सुख-समृद्धि, शांति के लिए किया गया। दरअसल, रांवड़ में फसल कमजोर हुआ करती थी।
लाख कोशिश के बावजूद इसमें सुधार नहीं आते देख किसान, मजदूर और ग्रामीणों का पलायन भी होने लगा था। गांव के बुजुर्ग-सियानों का कहना है कि सवा सौ साल पहले गोविन्द नाम का एक पंडित आया। भागवत पढ़ी। ग्रामीणों ने अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत कराया।
उन्होंने सलाह दी कि ठीक अनंत चतुर्दशी को भगवान श्रीसत्यनारायण की कथा, खेतों में दूध की धार और नंदी को गांव में भ्रमण कराके पूजा-पाठ शुरू कीजिए। सब कुछ ठीक हो जाएगा। पंडित का कहना मान ग्रामीणों ने ऐसा ही किया और फसल अच्छी होने लगी। गांव अशांत था। वह भी ठीक हो गया। सुख-समृद्धि आने लगी। बस इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी गांव वाले मानने लग गए।
इस बात को सरपंच ऊर्मिला साहू, उपसरपंच डेरहू साहू, जनपद सदस्य तामेश्वरी घांसी सोनी, ग्रामीण विकास समिति के अध्यक्ष कुंजलाल निषाद, दाऊलाल पटेल, रूपनारायण साहू, बेनीराम यदु, तुलसीराम यदु, ललित साहू, भारत साहू, कपिल साहू, लवकुश साहू, गंभीर साहू, मंदिर पुजारी चंद्रकुमार तिवारी, पंच महावीर यदु, चैतूराम साहू, बलीराम साहू, कन्हैया यादव, चोवाराम साहू, कनक साहू, लालाराम साहू, टोमन साहू, अनुप पटेल, बालाराम साहू, डगेश्वर, मुरारी पटेल, सहदेव यादव, नरेश, जितेन्द्र, रामरूप, लवकुश आदि ग्रामीणों ने इस प्रतिनिधि से चर्चा करते हुए बताया।
गाजे-बाजे के साथ भजन-कीर्तन
सुबह से नंदी को सजाकर गांव में बाजे-गाजे के साथ भजन-कीर्तन करते घुमाया गया। हर घर के सामने चौका-चंदन लगा हुआ था। घर से महिलाएं आरती का थाल लेकर निकलीं। श्रद्धाभाव के साथ गुलाल का टीका लगाकर आरती की। नारियल भी चढ़ाया और दोनों हाथों से झुककर नंदीक के पैर भी छुआ। नंदी बिल्कुल सीधे अंदाज में खड़ा रहा। ऐसा सुबह से लेकर दोपहर तक पूरे बस्ती में चलता रहा।
सुबह से नंदी को सजाकर गांव में बाजे-गाजे के साथ भजन-कीर्तन करते घुमाया गया। हर घर के सामने चौका-चंदन लगा हुआ था। घर से महिलाएं आरती का थाल लेकर निकलीं। श्रद्धाभाव के साथ गुलाल का टीका लगाकर आरती की। नारियल भी चढ़ाया और दोनों हाथों से झुककर नंदीक के पैर भी छुआ। नंदी बिल्कुल सीधे अंदाज में खड़ा रहा। ऐसा सुबह से लेकर दोपहर तक पूरे बस्ती में चलता रहा।
ऊधर बरगद झाड़ के नीचे गोविंद गणेश चौड़ी में भगवान श्रीसत्यनारायण की कथा और एक टीम सरहद से लगे हुए खेतों में दूध की धार बहाते रहे। गांव में एक दिन पहले मुनादी हुई थी कि हर घर से दूध लेकर पहुंचना होगा। सो सुबह से ही पांच बड़ी-बड़ी हडिंया बिना पानी मिलाए दूध से भर गई थीं। इसे पूजा-पाठ कर दोपहर तक खेतों में धार बहती रही सबसे बड़ी बात यह रही कि दूध की धार बिना टूटे प्रवाहित करते रहे।