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जुगाड़ के पुलिया के सहारे आने जाने को मजबूर हैं यहां के लोग, गांव में नही है बुनियादी सुविधाएं

धनोरा पंचायत के आश्रित ग्राम पतियालपारा के 200 ग्रामीण इसी लकड़ी के जुगाड़ के पुलिया से चलने को मजबूर हैं

गरियाबंदFeb 26, 2019 / 05:20 pm

Deepak Sahu

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जुगाड़ के पुलिया के सहारे आने जाने को मजबूर हैं यहां के लोग, गांव में नही है बुनियादी सुविधाएं

देवभोग. दशकों से शासन-प्रशासन को आवेदन करते आए, लेकिन पुलिया बनाने को लेकर किसी ने कोई रूचि नहीं दिखाई। ऐसे में शासन-प्रशासन से नाराज ग्रामीणों ने लकड़ी से जुगाड़ का पुलिया बना डाला। वहीं अब धनोरा पंचायत के आश्रित ग्राम पतियालपारा के 200 ग्रामीण इसी लकड़ी के जुगाड़ के पुलिया से चलने को मजबूर हैं।
पतियालपारा के पंच तिरपन मांझी ने बताया कि शासन-प्रशासन को पुलिया बनाने की मांग करते हुए कई बार आवेदन दे चुके हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने उनकी मांग पर कोई तवज्जो नहीं दी। मजबूर हो ग्रामीणों ने लकड़ी डालकर कामचलाऊ पुलिया का निर्माण किया है। गांव में कोई बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल ले जाने के लिए पुलिया पार करना मुश्किल हो जाता था। ग्रामीणों की माने तो पतियालपारा में गंभीर रूप से बीमार मरीज को खटिया में डालकर पुलिया पार करवाने की मजबूरी बन जाती है। वहीं ग्रामीण भी इसी पुलिया से चलकर पंचायत जाने को मजबूर हैं।
तिरपन मांझी की माने तो आज उसके बड़े बेटे की तबीयत ज्यादा खराब हो गई, वह बेहोश हो गया था। ऐसी स्थिति में उसे खटिया में डालकर लकड़ी के सहारे बनी पुलिया को पार कर अस्पताल ले जाना पड़ा। ग्रामीण बताते हैं कि उनके लिए जिंदगी किसी काला पानी से कम नहीं है। ग्रामीणों में इस असुविधाओं को लेकर काफी दिनों से आक्रोश है।
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पीने के पानी के लिए झरिया ही सहारा
गांव के चंदर सिंह नागेश और दामोदर की माने तो पीने के पानी के लिए भी यहां बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। स्थिति यह है कि लोहारपारा के करीब 100 ग्रामीण झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं। ग्रामीण पिछले एक दशक से पास के झिरिया से पानी लेकर ही अपनी प्यास बुझा रहे हैं।

वार्ड क्रमांक-14 के पंच दामोदर की माने तो पतियालपारा में एक हेडपंप है, वहीं लोहारपारा से हैंडपंप की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर है। वहीं हैंडपंप भी गर्मी के आते-आते पूरी तरह से सूख जाता है। ऐसी स्थिति में फरवरी महीने के लगते-लगते हर साल पतियालपारा और लोहारपारा के करीब 250 ग्रामीण झिरिया के पानी के सहारे ही प्यास बुझाने को मजबूर हैं।

चुनाव का करेंगे बहिष्कार
ग्रामीण बताते हैं कि पिछली बार विस चुनाव के दौरान आए नेताओं ने भी वादा किया था कि विस चुनाव के सपंन्न होते ही गांव की प्रमुख समस्या पुलिया और पेयजल के लिए उचित कदम उठाया जाएगा, इसके बाद भी आज तक सिर्फ नेताओं का वादा उनके जुबान के अनुसार वादा ही रह गया।

ऐसी स्थिति में इस बार पतियालपारा और लोहारपारा के 250 ग्रामीणों ने अभी से लोस चुनाव के बहिष्कार का निर्णय ले लिया है। वहीं ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना है कि इस बार किसी भी पार्टी के नेता को वे गांव में भी वोट मांगने के लिए घुसने नहीं देंगे।
ग्राम पंचायत धनोरा के सरपंच नीलाबंर मांझी ने बताया कि ग्रामीणों की मांग जायज है। पिछले एक दशक से पंचायत के साथ ही स्थानीय ग्रामीण पुलिया की मांग करते आ रहे थे। वहीं उनकी मांग पूरी नहीं हो पाई। ऐसी स्थिति में लकड़ी का पुलिया बनाकर चलने को मजबूर हैं।
जनपद पंचायत मैनपुर के सीईओ रविराज ठाकुर ने बताया कि ग्रामीणों की मांग के अनुरूप पुलिया की स्वीकृति के लिए जिला पंचायत को प्रस्ताव भेजा गया है। जैसे ही वहां से इस संबंध में निर्देंश प्राप्त होगा, तत्काल उचित कदम उठाया जाएगा।

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