आशाराम बताते हैं कि जब सितंबर के माह में सावित्री के भाई की तबियत खराब होने की खबर आई। इसके बाद सावित्री ने अपने एक साल में पाई-पाई जोड़कर बचाए हुए पैसे अपने भाई के इलाज के लिए इक_ा किए गए सारे पैसे दे दिया।
भाई की जान बच गई इसके लिए वह बहुत ज्यादा खुश है। वह ईश्वर से और कुछ नहीं चाहती। वहीं, वे आज भी हर रोज पूजा के दौरान अपने भाई की लंबी उम्र की प्रार्थना करने से पीछे नहीं हटती।
पेशे से किसान सावित्री के पति आशाराम सिन्हा भी पत्नी के निर्णय खुश हैं। आशाराम के मुताबिक जब डाक्टर किडनी को लेकर चर्चा कर ही रहे थे और परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। उसी दौरान सावित्री ने बिना किसी से चर्चा किए डाक्टरों के बीच ही कह दिया कि वह किडनी देकर अपने भाई की जान बचाएंगी। सावित्री ने इतना बड़ा कदम उठाया है। इसे देखने के बाद सावित्री की इज्जत उनके पति के नजर में और बढ़ गई है। वहीं सावित्री के दोनों बेटों का भी कहना है कि उनकी मां ने दुनिया को एक संदेश दिया है कि भाई-बहन का रिश्ता अटूट होता है।