हर 6 माह में प्रदूषण जांच करवाना है बेहद जरूरी
परिवहन विभाग में पंजीकृत बाइक, ट्रक समेत 1 लाख 79 हजार वाहन हैं। इन वाहनों का हर 6 महीने में प्रदूषण जांच कराना है, लेकिन वाहन चालक इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। एक बार प्रदूषण जांच कराने के बाद 70 प्रतिशत चालक दोबारा वाहनों की जांच नहीं करा रहे हैं, जिसके चलते शहर की आवो-हवा खराब हो रही है।
नहीं हो रहा गाडि़यों का प्रदूषण जांच
वाहनों से निकलने वाले धुएं के चलते प्रदूषण काफी बढ़ता जा रहा है, इसलिए शासन ने वाहनों का प्रदूषण जांच कराना अनिवार्य कर दिया है। वाहनों की जांच के लिए जिले में दर्जनभर केन्द्र बनाए गए हैं। उल्लेखनीय है कि पिछले साल जब प्रदूषण जांच केन्द्र शुरू हुआ था, उस समय सभी केन्द्रों में वाहनों की अच्छी भीड़ लगी रहती थी।
सेहत पर पड़ता है असर
प्रदूषण जांच केन्द्रों के संचालकों की मानें तो वाहनों के धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड गैस रहती है। नियमित रूप मेें इसके संपर्क में रहने से सेहत पर असर पड़ता है। सबसे ज्यादा कंडम हो चुके वाहनों से वायु प्रदूषण फैल रहा है। बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र के पकड़े जाने पर बाइक चालक से 2 सौ, तीन पहिया से 4 सौ, भारी वाहनों से 15 सौ रुपए अर्थदंड लेने का प्रावधान है।
लगातार की जा रही कार्रवाई
प्रदूषण प्रमाण पत्र होने पर ही बस, ट्रक समेत अन्य वाहनों को फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जाता है। चेकिंग के दौरान बिना प्रदूषण प्रमाण पत्र के वाहन चलाते पाए जाने पर कार्रवाई की जाती है।
प्रवीण वर्मा अधिकारी परिवहन विभाग