इलहाबाद हाइकोर्ट ने गुरुवार को जैसे ही आरुषि हत्याकांड में फैसला सुनाया, दलवार दंपति भावुक हो गए और दोनों गले मिले। इधर, जेल एसपी दधिराम मौर्य ने बताया कि जैसे ही हमारे पास कोर्ट के आदेश आ जाएंगे, हम दोनों को रिहा कर देंगे। एसपी ने बताया कि जेल में नूपुर तलवार का व्यवहार काफी अच्छा रहा। नूपुर जेल में हमेशा दूसरे कैदियों की मदद करती थीं। बता दें कि 26 नवंबर, 2013 को सीबीईआ कोर्ट ने दोनों को उम्र कैद की सजा सुनाई दी, जिसके बाद से तलवार दंपति गाजियाबाद स्थित डासना जेल में बंद हैं।
चार साल तक हाइकोर्ट में केस गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट ने 26 नवम्बर 2013 को आरुषि हत्याकांड में तलवार दंपति को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। फैसले के खिलाफ तलवार दंपति इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी। करीब चार साल बाद हाइकोर्ट ने उनके हक में फैसला सुनाया है।
16 मई, 2008 को 14 साल की आरुषि अपने बेडरूम में मृत मिली थी। हत्या का शक घरेलू नौकर हेमराज पर गया था। 17 मई को हेमराज का शव घर के टैरेस पर मिला। वहीं, 23 मई को दोहरी हत्या के आरोप में डॉ राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया था। एक जून को सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली। 13 जून को डॉ तलवार का कंपाउंडर कृष्णा की गिरफ्तारी हई थी। इसके बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आईं कि पूरा मामला क्रिसी क्राइम थ्रिलर की फिल्म में बदल गया। करीब चार साल बाद इस घटना में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। लेकिन, सवाल यह कि आखिरकार आरुषि का हत्यार कौन है।