दरअसल परिजनों का कहना है कि 15 अप्रैल को स्कूल की तरफ से पत्र भेजकर फीस जमा कराने की अंतिम तिथि 31 मई बताई गई थी। लेकिन 27 अप्रैल को जिन बच्चों की फीस नहीं जमा हुई थी, उनके अभिभावकों को ई-मेल भेजकर नाम काटने की सूचना दी गई। साथ ही उन्हें तुरंत फीस जमा कराने को कहा गया।
मेल मिलते ही 29 अप्रैल को बच्चों की फीस लेकर अभिभावक स्कूल पहुंचे, लेकिन पहले स्कूल के प्रिंसिपल से मिलने का समय मांगा। लेकिन काफी इंतजार करने पर भी प्रिंसिपल नहीं मिली। जिसके बाद शाम को सभी अभिभावक फीस का चेक स्कूल के बाहर लगे फीस ड्रॉप बॉक्स में डालकर चले गए। लेकिन उसी दिन देर रात दो बजे एक मैसेज अभिभावकों को मिला कि आप के बच्चे का नाम कट चुका है आप सभी को दोबारा प्रवेश की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। इसके साथ ही शपथ पत्र भी देना होगा। जिसके बाद स्कूल बच्चों को दोबारा दाखिला देने पर विचार करेगा। वहीं अब परिजनों का कहना है कि वो जिलाधिकारी से मामले की शिकायत करेंगे।
उधर गाजियाबाद के ही सप्फायर इंटर नेशनल स्कूल पर जिला फीस नियामक समिति (DFRC) ने एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। जानकारी के मुताबिक डीएफआरसी पर उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित स्कूल फीस नियामक एक्ट 2018 के उल्लंघन करने का आरोप है। साथ ही अधिकारियों ने कहा है कि स्कूल के प्रतिनिधियों ने न तो मीटिंग मे भाग लिया और न ही शुल्क वृद्धि से संबंधित दस्तावेज जमा कराए। दरअसल डीएफआरसी ने जिला के स्कूल प्रतिनिधियों के साथ शनिवार को एक मीटिंग की थी, जिसमें क्रासिंग रिपब्लिक, सप्फायर इंटरनेशनल स्कूल से कोई शामिल नहीं हुआ। जिला अधिकारी रितु महेश्वरी ने कहा कि स्कूल न तो शनिवार की मीटिंग में शामिल हुआ और न ही बढ़ी हुई फीस के कागजात जाम कराए।
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