Navratri 2018: यहां नव संवत की शुरुआत हो रही अदभुत, राजस्थानी कारीगरों की यज्ञशाला सबकी पसंदीदा! प्राचीन समय से स्थापित है मंदिर आपको बताते चलें कि नवरात्र के अवसर पर गाजियाबाद में दिल्ली गेट पर स्थित प्रसिद्ध देवी मंदिर पर रविवार को लोगों का भारी जमावड़ा दिखाई दिया। बताया जाता है कि यह मंदिर प्राचीन समय से यहां स्थापित है। मंदिर के महंत परमानंद गिरी का कहना है कि इसको स्थापित किए जाने का कोई निश्चित समय तो नहीं पता है लेकिन कहा जाता है कि यह सैकड़ों वर्ष पुराना है।
Chaitra Shukla Pratipada: इस बार हिंदूनव वर्ष में इन राशियों पर पड़ेगा यह प्रभाव यह है मान्यता उन्होंने बताया कि नवरात्र में यदि इस मंदिर में कोई भी भक्त पूजा-अर्चना कर मां भगवती को मनाता है तो मां उन भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसी श्रद्धा भाव के साथ गाजियाबाद के इस प्रसिद्ध देवी मंदिर में चैत्र नवरात्र के पहले दिन काफी भीड़ उमड़ती है। भक्त मंदिर में देवी मां की पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।
गजब: योगी ने केवल राम नाम लिखकर इतने समय में रच डाली अद्भुत रामायाण क्या है कथा महंत परमानंद गिरी ने कहा कि हिमालय के यहां पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण मां दुर्गा का नामकरण शैलपुत्री हुआ था। शैल पुत्री ने दाएं हाथ में त्रिशूल ले रखा है और उनके बाएं हाथ में कमल है। इनको सती के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने बताया कि एक बार एक बार प्रजापति दख ने बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन किया था। इसमें उन्होंने सभी देवताओं को निमंत्रण भेजा लेकिन सती और भोले शंकर को न्यौता नहीं दिया। सती यज्ञ में जाने के लिए उत्सुक थी जबकि भगवान शंकर उन्हें वहां जाने से मना कर रहे थे। मां सती ने शंकर जी की बात को अनुसना कर दिया और वह यज्ञ में उपस्थित होने चली गईं। वहां उनका अज्ञैर भगवान शिव का अपमान हुआ, जिसके बाद उन्होंने वहीं योगाग्नि द्वारा खुद काे भस्म कर दिया था। इससे क्रोधित होकर भगवान शंकर ने यज्ञ का विध्वंश कर दक्ष का सिर काट दिया था। सती अगले जन्म में शैलराज हिमालय की पुत्री के रूप में जन्मीं और शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री का विवाह भी भगवान शंकर से हुआ था।
चैत्र शुक्ल नवरात्र : इस तरह करेंगे कलश स्थापना तो बरसेगी माता की कृपा राक्षस का किया था संहार उन्होंने बताया कि एक समय धरती पर मधु कैटभ नाम के राक्षस का अत्याचार जरूरत से ज्यादा बढ़ गया था। वह धरती पर प्राणियों का संघार करने लगा था। उस समय आज के दिन भगवान विष्णु सो गए थे। इसके बाद ब्रह्मा जी ने शैलपुत्री देवी का आह्वान किया था। ब्रह्मा जी के आह्वान पर शैलपुत्री देवी प्रकट हुई तो उन्होंने मधु कैटभ राक्षस का वध करके धरतीलोक पर रहने वाले प्राणियों की रक्षा की थी। उन्होंने कहा कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन शैल पुत्री का व्रत रखने पर जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह देवी पूरी करती हैं।