इंतजार के पास थी बड़ी जिम्मेदारी पत्रिका की टीम इंतजार के घर पहुंची तो वहां उसकी पत्नी और दो बच्चों के साथ मां मिली। मां समीना ने बताया कि इंतजार ही उनका सबसे बड़ा बेटा है। उसके कांधों पर ही परिवार के पालन पोषण की जिम्मेदारी थी। छह भाई-बहनों में इंतजार सबसे बड़ा है और उसके भी एक बेटा और एक बेटी है। समीना ने बताया कि पहले परिवार शहीद नगर में रहता था, लेकिन पति के इंतकाल के बाद उन्होंने अशोक नगर में 50 गज का छोटा सा घर बना लिया। इंतजार एक बड़े कबाड़ के गोदाम में मजदूरी करता था। समीना ने बताया कि इंतजार रात को बच्चों की वजह से घर आ जाता था, लेकिन उस रात वह वहीं सो गया था।
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इंतजार की मां का कहना है कि 11 नवंबर को इंतजार गोदाम पर ही रुक था। उसी रात पुलिस ने गोदाम पर छापा मारकर गोदाम पर मौजूद सातों लोगों के पैर में गोली मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। समीना ने बताया कि सुबह के वक्त इंतजार और आसिफ का लगातार फोन मिलाया, लेकिन उनका स्विच ऑफ आता रहा। इसके दो दिन बाद उन्हें सोशल मीडिया पर एनकाउंटर के दौरान पैर में गोली लगने की जानकारी मिली। जब वह पता करने कबाड़ गोदाम पहुंचे तो पता चला कि पुलिस ने गोली मारकर गिरफ्तार कर लिया है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से रोजाना इंतजार घर आ जाता था। अगर उस रात भी घर आ जाता तो शायद उनके घर का मुखिया आज जेल जाने और आरोपी बनने से बच जाता।
‘वाहवाही लूटने के लिए बेवजह फंसाया’ इंतजार की मां ने कहा कि उनके किसी भी बच्चे का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। पूरा मोहल्ला उनका इस बात की गवाही देने को तैयार है। जहां पर पुलिस ने गाय कटान या गो तस्करी की बात कही है। वहां ऐसा कुछ नहीं है, केवल वह कबाड़ का गोदाम है। पुलिस ने केवल वाहवाही लूटने के लिए दोनों बेटों को बेवजह फंसाया है। इंतजार के परिजनों का यह भी आरोप है कि पुलिस कह रही है कि पहले उन पर फायरिंग हुई थी तो एक भी पुलिसकर्मी को गोली क्यों नहीं लगी? जबकि इन सातों के पैरों में एक ही जगह गोली लगी है। परिजनों का आरोप है कि उनके दोनों बेटों के पास कोई हथियार भी नहीं था। जबकि सभी पर पुलिस ने हथियार बताए हैं।
अब्बू को याद कर रोते हैं बच्चे इंतजार के छोटे भाई-बहन के अलावा उसकी पत्नी और दोनों बच्चे रोजाना इंतजार को याद करते हैं। खासतौर से इंतजार के मासूम बच्चे अब्बू को याद कर रोते हैं। क्योंकि जब भी इंतजार काम के बाद घर लौटता था तो अपने अपने बच्चों के लिए कुछ ना कुछ खाने पीने का सामान जरूर लेकर आता था। उन्होंने बताया कि वह रोजाना घर लौटने के बाद अपने बच्चों के साथ बहुत देर तक खेलता था। इसलिए उसका बेटा देर रात तक भी अब्बू-अब्बू कह कर रोता है।