यह भी पढ़ें- भाजपा सरकार गेहूं खरीद की तिथि आगे बढ़ाए, किसान परेशान : प्रियंका गांधी किसानों के नेता बिजेंद्र यादव ने बताया कि 26 तारीख किसानों के लिए महत्वपूर्ण है। इसके 3 बड़े कारण हैं। पहला कारण यह है कि 26 जून 1975 को सरकार ने आपातकाल की घोषणा की थी और दूसरा कारण मौजूदा सरकार ने किसानों के ऊपर तीन काले कानून थोंप दिए। काले कानून की वापसी की मांग को लेकर किसानों ने 26 नवंबर 2020 को अपने आंदोलन की शुरुआत की थी और तभी से किसान धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन उसके बाद भी सरकार तानाशाह रवैया अपनाए हुए है। अघोषित आपातकाल जैसा माहौल बना दिया है। तीसरा बड़ा कारण यह है कि 26 जनवरी को सरकार ने देश के तमाम ऐसे लोगों को लगा दिया, जिन्होंने किसान आंदोलन को बदनाम करने की पूरी कोशिश की और अफवाह फैलाई गई कि किसान आंदोलन समाप्त हो गया है। किसान वापस जा रहे हैं।
2024 के चुनाव तक धरने पर बैठने की चेतावनी बिजेंद्र यादव ने कहा कि किसान आंदोलन समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि कुछ किसान अपनी फसल काटने के लिए वापस गए थे तो कुछ वापस धरने पर लौट रहे हैं। किसानों के आने-जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सरकार किसानों को अनदेखा कर रही है। यह पूरी तरह गलत है और सरकार की तानाशाही है। उन्होंने कहा कि किसानों ने पूरी तरह ठान लिया है कि वह कृषि कानूनों की वापसी तक वापस लौटेंगे। भले ही उन्हें 28 मई 2024 तक यानी आने वाले चुनाव तक धरने पर बैठना पड़े तो किसान धरने पर बैठे रहेंगे।
देशभर में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे किसान उन्होंने बताया कि हर प्रदेश में किसान संगठन राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देंगे और इन तीनों काले कानून की वापसी की मांग की जाएगी। उन्होंने बताया कि दिल्ली की किसान कमेटी दिल्ली के उपराज्यपाल को ज्ञापन देगी। राजस्थान की कमेटी राजस्थान में ज्ञापन सौंपेगी और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान बॉर्डर पर मौजूद रहेंगे। इसको देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में उपराज्यपाल निवास के बाहर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।