निगम के निर्माण विभाग के द्वारा अवस्थापना निधि के तहत प्रस्तावित विकास के कामों के टेंडर निकाले थे। टेंडर डाल दिए गए थे और उन्हें खोलने की तैयारी की जा रही थीं। इसी बीच टेंडरों को निरस्त कर दिया गया। शुरूआत में तो निगम के अधिकारी शर्तों में बदलाव कारण दोहराते रहे। खुलासा हुआ की मेरठ मंडलायुक्त के आदेशों पर ये टेंडर निरस्त किए गए है।
मंडलायुक्त तक शिकायत पहुंची थीं कि टेंडर खुलने से पहले ठेकेदारों के द्वारा अधिकारियों से सांठगांठ करते हुए उन्हें मैनेज कर लिया है। ये भी खुलासा हुआ कि टेंडर मैनेज करने का खेल सालों से चल रहा है। यू तो बीजेपी और दूसरी पार्टियों के पार्षदों के द्वारा सगे संबंधियों के नाम से ठेकेदारी की फर्में संचालित की जा रही है। निर्माण और जलकल विभाग में ठेकेदारी की जा रही है। ज्यादातर ठेके पार्षदों की फर्मों पर है। अब अनेक पार्षद टेंडर निरस्त किए जाने को लेकर चिंतित है।
नगर आयुक्त सीपी सिंह के मुताबिक मंडलायुक्त तक शिकायत पहुंची है। इसके बाद में टेंडरों को स्थगित किया गया है। उच्च स्तर पर आदेश आने के बाद इसमें आगे कारवाई की जाएगी।