स्टेशन परिसर के पास कई ऐसी जगह हैं, जहां से बिना तलाशी के मौत का सामान आसानी से ले जाया जा सकता है। सुरक्षा के नाम पर यहां पर कोई जवान भी तैनात नहीं है। गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर कई बार धमकी भरे पत्र आ चुके हैं। इन सबके बाद भी जीआरपीएफ और आरपीएफ सबक लेने के लिए तैयार नहीं है। विजयनगर रेलवे स्टेशन और पुराना गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर कागजी सुरक्षा व्यवस्था होने की वजह से कोई भी यहां बड़ी वारदात को अंजाम दे सकता है।
स्टेशन पर अपराधिक तत्वों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लगाए गए 48 सीसीटीवी कैमरों में से अधिकतर कैमरे खराब हो चुके हैं। बता दें कि ये कैमरे चार साल पहले स्टेशन पर निगरानी के लिए लगाए गए थे। स्टेशन पर लगे अधिकतर कैमरे लो रिजोल्यूशन वाले व फिक्सड हैं। रखरखाव न होने की वजह से 20 सीसीटीवी कैमरे पूरी तरह खराब हो गए हैं। वहीं कईयों के तार बंदरों ने काट दिए हैं।
ये कहते हैं एक्सपर्ट सीसीटीवी कंपनी जाईकॉम एक्सपर्ट अजय गौर के मुताबिक अच्छी कंपनी के कैमरे की मियाद तीन साल होती है। अधिक समय बीतने के बाद वो काम करना बंद कर देते हैं या फिर लगातार सर्विस मांगते हैं। इन कैमरों की रिज्योल्यूशन काफी कम है और पिक्चर फट जाती है। अधिक कैमरे होने की वजह से डाटा एक हफ्ते से लेकर दस दिन तक ही सर्वर में स्टोर रह पाता है। जबकि रेलवे स्टेशन और दूसरी जगहों पर लगे सर्वर रूम में एक महीने तक डाटा रहना चाहिए।
गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर बने नए पुल पर कभी भी पुलिस के जवान तैनात नहीं रहते हैं। धोबीघाट आऱओबी की कस्ट्रक्शन साइट के पास यार्ड के रास्ते, इसके अलावा चौधरी मोड़ के पास आर्यनगर साइड से भी लोग बिना किसी चेकिंग के किसी भी सामान को लेकर प्लेटफार्म तक पहुंच सकते हैं।