गाजियाबाद। नेपाल ने भले ही अपने यहां पर पांच सौ और हजार रुपये को बैन कर दिया है। बावजूद इसके अन्य पहलूओं को लेकर आज भी पड़ोसी देश और भारत के संबंध मधुर हैं। आपदा से बचाव में भारत की दक्षता को देखते हुए नेपाल आर्मी का एक दल आठवीं बटालियन एनडीआरएफ पहुंचा। यहां पर वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने मॉक ड्रिल व रेस्क्यू ऑपरेशन की बारीकियों को गहनता से समझा। इसके बाद में यहां के जवानों के साथ में मिलकर उसका डेमोंस्ट्रेशन किया।
नेपाल आर्मी के साथ मिलकर किया सर्च रेस्क्यू
नेपाल आर्मी मेजर जनरल विनोद कुमार श्रेष्ठा डीजीएमओ सहित अन्य 9 वरिष्ठ अधिकारियों ने दौरा किया। बटालियन कमाडेंट पीके श्रीवास्तव ने मेजर जनरल विनोद कुमार श्रेष्ठा व अन्य लोगों का स्वागत किया और विभिन्न रेस्क्यू ऑप्रेशनस पर प्रजेन्टेशन दिया गया। नेपाल आर्मी के साथ में मिलकर जवानों ने सर्च रेस्क्यू किया। एनडीआरएफ के जवानों ने हेलीकॉप्टर जम्पिंग, बिल्डिंग कोलेपश आदि का डेमोस्ट्रेशन दिखाया।
उपकरणों के जरिए दिखाई भारत की ताकत
विदेशी आर्मी के जवानों के लिए एनडीआरएफ ने अपने उपकरणों की प्रदर्शनी लगाई। बीआरएन एवं बाढ़ में काम आने वाले उपकरणों की प्रदर्शनी भी उनके उपयोग किए जाने पर जोर दिया गया। एनडीआरएफ के उपमहानिरीक्षक आर के राणा की मौजूदगी में जवानों ने खाली बोतल और स्क्रैप से बाढ़ में काम आने वाले चीजों को बनाकर दिखाया।
विदेशों की आपदा में भी रही है एनडीआरएफ की भागीदारी
नेपाल आर्मी से बातचीत के दौरान एनडीआरएफ कमाडेंट पीके श्रीवास्तव ने बताया कि आपदा फोर्स भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में अपनी क्षमता और जिंदगी बचाने के लिए जानी जाती है। नेपाल में भी यहां के 8 अधिकारी एवं 275 बहादुर जवानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।