शुक्रवार को राकेश टिकैत ने कहा कि कोरोना काल में सरकार ने आलू 40 रुपये किलो बेचा और आज हमारा वही आलू 4 रुपये किलो बिक रहा है। हमारा बाजरा 11 किलो बिकता है। वहीं बाजार में बाजरे का आटा 65 किलो मिलता है। यह कहां का कानून है। यह कानून इतने खतरनाक हैं, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसान बबार्दी की कगार पर है। आगरा में सबसे ज्यादा किसानों ने आत्महत्या की है। राकेश टिकैत ने भारतीय किसान यूनियन के 3 मंडलो के साथ मीटिंग की।
यह भी देखें: विजिलेंस टीम ने रिश्वतखोर वित्त लेखा अधिकारी को पकड़ा सहारनपुर मंडल, मेरठ मंडल और मुरादाबाद मंडल के सभी प्रभारियों को बुलाया गया और 12 जिलों के प्रदेश अध्यक्ष से बात की। उन्होंने कहा कि हर रोज बीस ट्रैक्टर आंदोलन स्तर पर आएंगे और 1 जिले से 20 ट्रैक्टर हर रोज अलग अलग जिले से आते जाते रहेंगे। किसी कीमत पर लोग कम नहीं होंगे। मीडिया के द्वारा जो यह दिखाया जा रहा है कि धरना स्थल पर किसानों की भीड़ कम हो रही है, वह एकदम गलत दिखाया जा रहा है। धरने पर बैठे किसानों की संख्या में कमी नहीं आई है बल्कि और इसमें इजाफा ही हो रहा है। हर हाल में किसान अब एक मंच पर है और अपनी बात पर अडिग है।