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गाज़ियाबाद

भाजपा और कांग्रेस के सामने फीकी पड़ गई सपा और बसपा का चुनावी अभियान

यूपी नगर निकाय चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के सामने सपा और बसपा की चुनावी अभियान फीकी पड़ गई है।

गाज़ियाबादNov 21, 2017 / 06:31 pm

Ashutosh Pathak

sP and BSP electoin campaign faded in front of BJP and Congress

UP nagar nigam election 2017

गाजियाबाद। यूपी नगर निकाय चुनाव की सरगर्मी तेज हो चुकी है। सभी राजनीतिक पार्टियां अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए एड़ी-चोटी एक किए हुए हैं। वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी बड़े-बड़े नेताओं को बुलाकर प्रचार-प्रसार करवा रहे हैं। इस रेस में सबसे आगे भारतीय जनता पार्टी चल रही है। बीस साल के कब्जे को लगातार बरकरार रखने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ गाजियाबाद में चुनावी जनसभा कर चुके हैं। वहीं, लोनी में जीत को दोहराने क लिए डिप्टी सीएम भी पहुंच चुके हैं। बीजेपी को टक्कर देने क लिए कांग्रेस पार्टी भी अपने स्टार प्रचारकों की मदद ले रही है। लेकिन चुनावी दंगल में सपा और हाथी को अपने प्रदेश नेतृत्व से कोई मदद नहीं मिल पा रही है।

राजबब्बर और रावत आ रहे हैं गाजियाबाद

कांग्रेस पार्टी के महानगर अध्यक्ष नरेंद्र भारद्वाज ने बताया है कि 22 नवंबर को उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत , वसुंधरा सेक्टर-13 में जनसभा को संबोधित करेंगे। वहीं, लाजपतनगर जीडीए क्वाटर सी-9 में भी एक विशाल जनसभा को रावत संबोधित करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर 24 नवंबर को गाजियाबाद आएंगे और विजयनगर क्षेत्र में जनता को संबोधित करेंगे। इसके अलावा कांग्रेस नेत्री नगमा भी सभा को संबोधित करेंगी।
बनवारी लाल कंछल तक सीमित रह गई सपा

समाजवादी पार्टी ने भाजपा को टक्कर देने के लिए वैश्य समाज से राशि गर्ग को चुनावी दंगल में उतारा। अच्छा कैडिडेंट होने के बाद भी प्रदेश नेतृत्व से सिर्फ सीनियर नेताओं के तौर पर बनवारी लाल कंछल को एक दिन के लिए गाजियाबाद भेजा गया। उन्होंने वैश्य समाज के लोगों के साथ में बैठके की, लेकिन मजबूती को बरकरार रखने के लिए अन्य किसी प्रदेश स्तर के नेता का सपोर्ट नहीं मिला।
हाथी रह गया खाली

निकाय़ चुनाव में बहुजन पार्टी की प्रत्याशी मुन्नी चौधरी पत्नी सतपाल चौधरी अकेली ऐसी कैडिडेंट रह गईं, जिसके चुनाव को उठाने में प्रदेश के किसी भी नेतृत्व का साथ नहीं मिला। मुन्नी चौधरी की नाव को धौलाना विधायक असलम चौधरी और पूर्व शहर विधायक सुरेश बंसल ही खेने का काम कर रहे हैं। अब देखने के वाली बात यह होगी कि क्या गाजियाबाद में भाजपा की साख को ये पार्टियां धूमिल कर सकते हैं या एक बार फिर गाजियाबाद नगर निगम में भाजपा की डंका बजेगी।
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