दरअसल बुशा मार्केटिंग नाम से बनाई गई कंपनी द्वारा शिक्षित बेरोजगार युवाओं को कुछ लोग अपना निशाना बना रहे थे। पतञ्जलि और अमूल कंपनी के फर्जी विज्ञापन का पोस्टर लगाकर युवाओं को अपने जाल में फंसाते थे। उनसे फीस के नाम पर लाखों रुपये ठग लिए। बेरोजगार युवाओं को ट्रेनिंग के नाम पर गाजीपुर में सामान बेचने का काम कराया जा रहा था। ठगी का अहसास होते ही युवाओं ने डीएम को पूरे मामले की जानकारी दी। वहीं सदर कोतवाल ने पुलिस भेजकर गिरोह के सदस्यों को हिरासत में ले लिया।
पुलिस मामले की जांच में जुटी है। गोरखपुर से संचालित इस कंपनी ने पोस्टर चिपकाकर युवाओं की भर्ती निकाली। जिसमें तुरंत नौकरी देने का वादा किया गया था।उस लिस्ट में कई नामचीन मल्टीनेशनल कंपनी के नाम भी शामिल थे। इन कंपनियों में अच्छे पैकेज पर नौकरी दिलाने और विदेश भेजने के सपने दिखाए गए। यह गिरोह युवाओं को दूसरे जिलों में भेजता था ताकि वह इस भ्रम में रहे कि उनकी ट्रेनिंग हो रही है। जब युवाओं को यह लगा कि उनके साथ ठगी हुई है तब उन्होंने अपना पैसा मांगा। जिसके बाद इनके साथ मारपीट की गई। दो दर्जन से अधिक युवाओं ने डीएम के कार्यालय पहुंचकर आपबीती सुनाई। मामले की जानकारी पाकर डीएम के. बालाजी ने तत्काल सदर पुलिस को कार्रवाई के निर्देश दिए। पुलिस पूरे मामले के जांच में जुटी है।