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गाजीपुर

BSP के खाते की इस लोकसभा सीट पर बसपा के ही पूर्व मंत्री की पत्नी को उतारेगी कांग्रेस!

बहुजन समाज पार्टी में रहे पूर्व मंत्री अब बना चुके हैं अपनी पार्टी
कांग्रेस से किया है गठबंधन, सीटों पर भी हो चुका समझौता।

गाजीपुरMar 18, 2019 / 03:50 pm

रफतउद्दीन फरीद

Akhilesh yadav Priyanka gandhi and Mayawati

अखिलेश यादव प्रियंका गांधी और मायावती

एमआर फरीदी

गाजीपुर. 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बैकफुट पर पहुंच गयी कांग्रेस प्रियंका गांधी के आने और छोटी पार्टियों से गठबंधन के बाद फ्रंटफुट पर खेलती नजर आ रही है। कांग्रेस ने महान दल, अपना दल और बाबू सिंह कुशवाहा की जन अधिकार पार्टी से गठबंधन कर लिया है। इसके अलावा सपा-बसपा की सीटों पर ऐसे प्रत्याशी उतार रही है, जिससे गठबंधन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। घोसी, आजमगढ़, मिर्जापुर, कुशीनगर और बांसगांव, के बाद अब कांग्रेस गाजीपुर व चंदौली में भी गठबंधन को मुश्किल में डाल सकती है। चंदौली सीट जहां सपा के तो गाजीपुर सीट बसपा के खाते में है। जन अधिकार पार्टी से गठबंधन के तहत दोनों सीटों पर उसका प्रत्याशी कांग्रेस अपने सिंबल पर लड़ाएगी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के टिकट पर बाबू सिंह कुशवाहा की पत्नी शिवकन्या कुशवाहा एक बार फिर गाजीपुर से चुनाव लड़ सकती हैं। 2014 का चुनाव शिवकन्या सपा के टिकट पर लड़ी थीं और मनोज सिन्हा से सिर्फ 32 हजार 452 वोटों से हार गयी थीं। ऐसे में अगर इस बार फिर शिवकन्या गाजीपुर से लड़ीं तो वहां गठबंधन के लिये मुश्किल हो सकती है।
Shivkanya Kushwaha
शिवकन्या कुशवाहा 2014 में सपा के टिकट पर गाजीपुर लोकसभा से चुनाव लड़ी थीं IMAGE CREDIT:
 

शिवकन्या के आने से गठबंधन को कितना नुकसान

2014 में बीजेपी मोदी रथ पर सवार होकर चुनाव मैदान में उतरी तो गाजीपुर से शिवकन्या कुशवाहा ने सपा के टिकट पर बीजेपी के मनोज सिन्हा का मुकाबला किया। उम्मीद थी कि माई फैक्टर के साथ कुशवाहा वोटर मिलकर सपा चौथी बार सीट जीत लेगी। इस फैक्टर ने काम तो किया, लेकिन मोदी लहर के चलते बीजेपी यहां से जीत गयी। तब बसपा तीसरे नंबर पर थी और सपा 32,452 वोटों से ही हारी थी। इस बार सपा-बसपा गठबंधन कर मैदान में हैं और इन्हें लगता है की दोनों के वोट मिल जाएं तो वो बीजेपी को हरा सकते हैं। ऐसे में शिवकन्या कुशवाहा के दोबारा मैदान में आने से जहां गठबंधन को नुकसान हो सकता है वहीं बीजेपी इसका फायदा उठाने की कोशिश करेगी। कांग्रेस को उम्मीद है कि अपनी इस चाल के जरिये वह भी लड़ाई में शामिल होगी।
2014 लोकसभा चुुुुनाव के नतीजे

1- मनोज सिन्हा (बीजेपी) 3069292- शिवकन्या कुशवाहा (सपा) 2744773- कैलाश नाथ सिंह (बसपा) 2416454- डीपी यादव

(राष्ट्रीय परिवर्तन दल) 59510

6- मकसूद खान (कांग्रेस) 18908
 

Babu Singh Kushwaha and Rahul Gandhi
2019 लोकसभा चुनाव के लिये कांग्रेस ने बाबू सिंह कुशवाहा की पार्टी जन अधिकार मंच से गठबंधन किया है IMAGE CREDIT:
 
जातिगत आंकड़ों से जीत के दावे

गाजीपुर लोकसभा सीट पर इस बार जीत और हार जातिगत आंकड़ों से जोड़कर देखी जा रही है। सीट को यादव बाहुल्य कहा जाता है, लेकिन दलित वोटर उससे थोड़े ही कम हैं। इसके ठीक बाद अदर ओबीसी आते हैं, फिर मुस्लिम, कुशवाहा और बिंद व राजभर जाति के वोटों की संख्या आती है। क्षत्रिय वोट यहां मुस्लिमों से अधिक है, जबकि वैश्य, ब्राह्मण, भूमिहार व अन्य सवर्ण वोट एक लाख से नीचे की तादाद के हैं। सपा-बसपा गठबंधन को लगता है कि माई फैक्टर के साथ दलित वोटों को एकजुट कर वह गाजीपुर का मैदान मार लेगी। दूसरी ओर बीजेपी अन्य पिछड़ा वर्ग और सवर्ण वोटरों के साथ 2014 की ही तरह मोदी के नाम पर दलित और यादव वोटरों में भी सेंधमारी की जुगत में है। ऐसे में कांग्रेस अगर शिवकन्या को उतारकर गठबंधन के ओबीसी और मुस्लिम वोटों के साथ ही बीजेपी के मतों में भी सेंध लगा ले तो इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
Manoj Sinha
2014 लोकसभा चुनाव मनोज सिन्हा गाजीपुर से 32,452 वोटों से जीते थे। IMAGE CREDIT:
 

गाजीपुर लोकसभा के जातिगत आंकड़ेे

जातिवोटरजातिवोटरजातिवोटर
यादव3.75 – 4.00 लाखब्राह्मण80 – 1.00 लाखराजभर0.75 – 1.00 लाख
दलित3.50 – 4.00 लाखभूमिहार50000 लगभगबिंद1.50 – 1.75 लाख
क्षत्रिय1.75 – 2.00 लाखवैश्य1 लाख लगभग।कुशवाहा1.50 – 1.75 लाख
मुस्लिम1.50 – 1.75 लाखअन्य सवर्ण50000अन्य ओबीसी3 लाख
नोट- सभी आंकड़े अनुमानित
 
Afzal Ansari
सपा-बसपा गठबंधन तहत अफजाल अंसारी हो सकते हैं गाजीपुर लोकसभा से बसपा के प्रत्याशी IMAGE CREDIT:
 

1984 के बाद गाजीपुर में नहीं खुला कांग्रेस का खाता

गाजीपुर लोकसभा सीट पूर्वांचल की वीवीआईपी सीट है। संचार एवं रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा तीसरी बार यहां से चुनकर संसद पहुंचे हैं। आजादी के बाद यहां से लगातार तीन बार कांग्रेस जीती। अगले तीन चुनाव उसे हार का मुंह देखना पड़ा, जिसमें दो कम्युनिस्ट पार्टी और एक बार जनता पार्टी से शिकस्त खायी। 1980 और 84 में कांग्रेस ने फिर वापसी की, लेकिन इसके बाद जातिगत राजनीति की हवा में कांग्रेस ऐसी साफ हुई की आज तक गाजीपुर में खाता नहीं खोल पायी। 84 के बाद एक-एक बार निर्दलीय और सीपीआई जीते, जबकि बीजेपी और समाजवादी पार्टी यहां से तीन-तीन बार जीत दर्ज कर चुकी हैं। बसपा का भी यहां अब तक खाता नहीं खुला।
कब किस पार्टी ने जीती सीट

        
1952हर प्रसाद सिंह (कांग्रेस1971सरजू पाण्डेय (सीपीआई1989जगदीश कुशवाहा (निर्दल)1999मनोज सिन्हा (बीजेपी)
1957हर प्रसाद सिंह (कांग्रेस)1977गौरी शंकर राय (जनता पार्टी)1991विश्वनाथ शास्त्री (सीपीआई)2004अफजाल अंसारी (सपा)
1962विश्वनाथ सिंह गहमरी (कांग्रेस)1980जैनुल बशर (कांग्रेस- आई)1996मनोज सिन्हा (बीजेपी)2009राधे मोहन सिंह (सपा)
1967सरजू पाण्डेय (सीपीआई)1984जैनुल बशर (कांग्रेस)1998ओम प्रकाश सिंह (सपा)2014मनोज सिन्हा (बीजेपी)

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