रामाधार राय पत्रिका से बाचचीत में कहते हैं कि इस केस के दो गवाह संजीव राय और मुन्ना राय ने गवाही ही नहीं दी। वहीं हत्याकांड के एक अहम गवाह का जिक्र करते हुए वो कहते हैं कि शशिकांत राय नाम के एक व्यक्ति को भी इस हमले में गोली लगी थी जो बाद में जिंदा बचे लेकिन उनकी संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। वहीं एक और गवाह का नाम लेते हुए रामाधार बताते हैं कि वारदात के समय खेत में काम कर रहे मनोज गौड़ जिसने की पूरी घटना को देखा था उसकी भी संदिग्ध मौत से पूरा मामला कमजोर हुआ। उन्होने कहा कि अगर ये सारे गवाह अपनी गवाही कोर्ट में दे पाते तो सबकुछ सामने आ जाता।
बतादें कि 2005 में मोहम्दाबाद के भाजपा विधायक कृष्णानंद राय समेत उनके साथ के सात लोगों की उस समय गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जब को एक क्रिकेट मैच का उद्घाटन करके लौट रहे थे। इस मामले में मुख्तार अंसारी, अफजाल अंसारी, मुन्ना बजरंगी समेत आठ लोगों को आरोपी बनाया गया था। सीबीआई जांच के लिए भाजपा के दिग्गज नेता राजनाथ सिंह ने धरना भी दिया था। 14 साल की कठिन लड़ा के बाद बुधवार को सीबीआई की अदालत ने आठों आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले के बाद गाजीपुर में चर्चाओं का बाजार गर्म है। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास ने कहा है कि ये न्याय की जीत है।