17 जून 2004 को जब बृजभूषण सिंह ने अपने 22 वर्षीय बेटे शक्ति सिंह के कमरे से गोली चलने की आवाज सुनी तो वह दौड़ते भागते उसके कमरे में पहुंचे। वहां बृजभूषण सिंह ने अपने बेटे शक्ति सिंह को मृत पाया। शक्ति सिंह ने अपने पिता की लाइसेंसी पिस्तौल से खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार शक्ति सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा था कि “आप अच्छे पिता साबित नहीं हो सके। आपने हम भाई-बहनों की सुख सुविधा का कोई ख्याल नहीं रखा, आपने हमेशा अपने बारे में सोचा और हमारी कोई चिंता नहीं की। अब तो बहन भी बहन बड़ी हो रही है, लेकिन हम लोगों का अपना भविष्य अंधकार में दिख रहा है। इसलिए अब जिने का कोई औचित्य नहीं।”
उस समय बृजभूषण सिंह भाजपा से बलरामपुर के सांसद थे। बता दें कि बाबरी विध्वंस मामले में 40 आरोपियों में से एक नाम बृजभूषण शरण सिंह का भी था। साथ ही इस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राम विलास वेदांती, विनय कटियार समेत कई नेता आरोपी थे। मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 30 सितंबर 2020 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दिया था। बृजभूषण सिंह के दो और बेटे हैं, एक का नाम प्रतीक भूषण सिंह और दूसरे का नाम करण भूषण सिंह है। प्रतीक गोंडा सादर सीट से दो बार विधायक रह चुके हैं और करण भूषण सिंह 2018 में यूपी कुश्ती संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष चुने जा चुके थे।