खंडहर में तब्दील हो गई प्रेम की निशानी, जाने गोंडा के वृन्दावन का इतिहास
गोंडा में मथुरा वृंदावन की तर्ज पर गोंडा नरेश गुमान सिंह की पत्नी रानी भगवंत कुंवरि ने राजा को रिझाने के लिए सगरा तालाब के बीचो बीच टापू में काल्पनिक वृंदावन का निर्माण कराया था। प्रेम की अनूठी निशानी धीरे-धीरे खंडहर में तब्दील हो गई।
गोंडा शहर स्थित सागर तालाब का निर्माण 18 वीं शताब्दी में गोंडा नरेश शिव प्रसाद सिंह ने कराया था। वह कृष्ण के अनन्य भक्त थे और तालाब के समीप भव्य मंदिरों का भी निर्माण कराया था। बाद में राजा गुमान सिंह की पत्नी रानी भगवंत कुंवरि ने इसे काल्पनिक वृंदावन का रूप दे दिया।
राजा मथुरा वृंदावन में रुक ना जाएं इसलिए रानी ने बनवाया काल्पनिक वृंदावन राजा गुमान सिंह कृष्ण के भक्त थे। वह मथुरा वृंदावन दर्शन के लिए गए थे। वहां का मनमोहक दृश्य उन्हें भा गया और वह वहीं अपने गुरु और सखी के पास रुक कर गुरु की सेवा करते रहे। जब वह लौटने को तैयार नहीं हुये तब रानी भगवंत कुंवरि ने गोंडा में भी मथुरा-वृंदावन जैसा एक वृंदावन स्थापित करने का वचन दिया। बाद में रानी भगवंत कुंवरि ने सागर तालाब के बीच में एक टापू पर गोर्वधन पर्वत, कृष्ण कुंज, श्याम सदन, गोपाल बरसाना आदि का निर्माण कराया। ये सब आज भी सागर तालाब के बीचों बीच खण्डहर के रूप में विद्यमान हैं।
सगरा तालाब के बीचो बीच स्थित काल्पनिक वृंदावन IMAGE CREDIT: Patrika original गोंडा नरेश देवी भगत सिंह के शासनकाल तक काल्पनिक वृंदावन दर्शनीय स्थल रहा गोंडा नरेश महाराजा देवी बख्श सिंह के शासनकाल तक सागर तालाब और काल्पनिक वृंदावन दर्शनीय स्थल रहा किन्तु उनके नेपाल जाने के बाद इस अद्भुत निर्माण की दुर्गति शुरू हो गई और देखरेख के अभाव में धीरे-धीरे यह खण्डहर में तब्दील होता गया। आजादी के बाद भी इसके संरक्षण का कोई खास प्रयास नहीं किया गया।
सगरा तालाब के पास बने मंदिर IMAGE CREDIT: Patrika original सगरा तालाब और काल्पनिक वृंदावन सुंदरीकरण के लिए शुरू हुई पहल रही बेनतीजा सगरा तालाब और काल्पनिक वृंदावन के सुंदरीकरण के लिए तत्कालीन जिलाधिकारी राम बहादुर उनके बाद मारकंडेय सिंह और रोशन जैकब ने पहल किया थोड़ा बहुत काम भी हुआ। लेकिन इनकी स्थानांतरण के बाद काम पूरी तरह से ठप हो गया। ऐसे में सुंदरीकरण के लिए की गई पहल बेनतीजा रही।