यह हाल मुख्यालय से मात्र 3,4 किमी दूरी पर विकासखंड झंझरी के जूनियर हाईस्कूल बनवरिया का है। विद्यालय का निर्माण वर्ष 2007-8 में पांच लाख 40 हजार की लागत से किरण सिंह द्वारा कराया गया था। विद्यालय में न तो खिड़की है और न ही दरवाजा हैं। फर्श भी नहीं बनवाये गए। शौचालय कब के गिर गए। हैंडपम्प नहीं लगवाया गया। मौजूदा अध्यापिकाओं ने अपने पास से नल लगवाया है। विद्यालय के मरम्मत, रंगाई पोताई के लिए हर वर्ष 8 हजार रूपये अलग से आते हैं लेकिन एक दशक से रंगाई पोताई तक नहीं कराया गया है।
प्रधानाध्यापिका कुमुद के अनुसार 70 बच्चों का पंजीकरण है लेकिन नवरात्रि के कारण बच्चे 15 आये हैं। उनका कहना है कि यदि विद्यालय की साफ सफाई हो जाये तो बच्चों की संख्या 150 तक हो जाएगी। लोग नाम लिखाना चाहते हैं लेकिन गंदगी के कारण नहीं लिखवाते। विद्यालय में बाउंड्री नहीं है और न ही शौचालय है और न ही रास्ता है। जंगल मे बना यह विद्यालय झुरमुटों में छिपा रहता है। गांव का सफाई कर्मी धर्मप्रकाश मिश्रा कभी सफाई नहीं करता और न ही विद्यालय का अनुचर ही सफाई करता है। जिसके कारण कमरो में बच्चों को न बैठा कर बाहर बाग में बैठाया जाता है। महिला अध्यापिकाओ और लडकियो को शौस आदि में दिक्कत होती है।
जिले में छुट्टा पशुओं की बहुतायत होने के कारण सभी परेशान हैं। इन पशुओं के लिए रेलवे स्टेशन, अस्पताल, हाइवे, राज्य मार्ग, बाजार, विद्यालय, सभी शरण स्थल बना हुआ है। सबसे अधिक किसान परेशान हैं। उनके खेतो में झुंड के झुंड पहुंच कर पलक झपकते पूरा फसल चट्ट कर जाते है। इन गौवंशो में सबसे अधिक बछड़ो और सांडो की संख्या होती है जो लोगो पर भी हमला बोल कर घायल कर देते जिनमे कइयों की जान तक देनी पड़ी है। ये छुट़टा जानवर थोडी सी वारिस होने पर ऐसे सार्वजनिक स्थलो भवनो मे शरण्ा लेते है