पैराणिक स्थल है मनोरामा, यही से नदी का हुआ है उद्गम- जिले के तिर्रेमनोरमा में जहाँ कई ऋषि मुनियों के सम्बन्ध रहे हैं और भगवान राम के अवतरण से जुडी कहानिया भी जुड़ी है। इसी पोखरे से मनोरमा नदी का उद्गम हुआ है, जो गोण्डा से निकलकर बस्ती तक जाकर सरयू नदी में मिल जाती है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन यहाँ लाखों लोग जिले व बाहर से आकर स्नान करते हैं।
मेले में लगती हजारों दुकानें और लाखों लोग मेले में लेते भाग- कार्तिक पूर्णिमा के दिन जिले के तिर्रेमनोरमा गाँव जहाँ मनोरमा नदी के उद्गम स्थल पर भव्य मेले का आयोजन होता है, मान्यता है कि यहाँ श्रृंगी ऋषि का आश्रम था, जहां राजा दशरथ पुत्र प्राप्ति हेतु श्रृंगी ऋषि से मिलकर पुत्रेष्टि यज्ञ कराया था। यही उद्वालक मुनि का आश्रम है। लोगों का कहना है कि उद्वालक मुनि के तप के प्रभाव से मनोरमा नदी का उद्भव हुआ। मनोरमा के पोखरे से मनोरमा नदी निकली। पोखरे का पानी कभी समाप्त नहीं होता है।