जातीय समीकरण के आधार पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति गोंडा लोकसभा सीट से जातीय समीकरण के आधार पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति से इ्ंकार नहीं किया जा सकता। सांसद कीर्ति वर्धन सिंह का प्रभाव गौरा, मनकापुर, मेहनौन में खासा है। यहां पर लोग आज भी मनकापुर राजघराने को पूरा सम्मान देते हैं, तो बलरामपुर की उतरौला विधानसभा में चुनाव का ‘रंग’ अलग-अलग होता है। मौजूदा सांसद के परिवार का इस सीट पर खास दबदबा रहा है। उनके पिता पूर्व मंत्री आनंद सिंह भी इस सीट से कई बार सांसद रहे हैं। पिछला चुनाव जीतने से पहले कीर्ति वर्धन सिंह 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी बेनी प्रसाद वर्मा से चुनाव हार गए थे, लेकिन इससे पहले दो बार वह सपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। इस लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी पांच विधानसभा सीटों पर भाजपा के ही विधायक हैं, जो जातीय आधार पर भी भाजपा प्रत्याशी के लिए अनुकूल हैं।
गोंडा क्षेत्र के हिस्से में आने वाली उतरौला विधानसभा बलरामपुर जिले का हिस्सा है। यहां के राजनीतिक हालात थोड़े अलग हैं। इस विधानसभा क्षेत्र में कुर्मी जाति के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। यहां से विधायक राम प्रताप वर्मा स्वयं कुर्मी बिरादरी के हैं लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में खड़ीं कॉष्णा पटेल के प्रत्याशी होने से उनकी चुनौती बढ़ गई है। स्लिम मतदाताओं पर सपा प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह का प्रभाव है।