राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का उद्देश्य समाज को राष्ट्र की विचारधारा पर खड़ा करना : नरेंद्र
गोंडा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश की एक विचारधारा है। सन 1948 में डॉ हेडगेवार ने पहली संवाद एजेंसी बनाई। लेकिन संघ में प्रचार औपचारिक रूप से 1994 में आया। यह बात नारद जयंती की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने संगठन का प्रचार नहीं करना चाहता था। हम जो विचारधारा लेकर चले वह इस देश की विचारधारा थी। हम विचार का प्रचार कर रहे थे। आज भी हम समाज में 1 प्रतिशत नहीं है। भले ही संघ दुनिया का सबसे बड़ा संगठन बन गया हो। हमारा प्रमुख उद्देश्य है कि समाज को राष्ट्रीय विचारधारा पर खड़ा करना है। इस विचारधारा के अभाव में यह देश 800 वर्षों तक पराधीन रहा। डॉ हेडगेवार ने कहा था कि हम अपनी विचारधारा समाज के 99 प्रतिशत लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं। कहां की आज भले ही जहां संघ की शाखा न इससे जुड़े लोग ना हो। वहां भी हमारी विचारधारा चल रही है। वर्तमान समय में प्रखर हिंदूवादी लोगों की संख्या समाज में बहुत अधिक है। भले ही वह संघ से न जुड़े हो। ऐसे लोगों को हम सज्जन शक्ति कहते हैं। समाज का हर वह व्यक्ति जो राष्ट्र के लिए समर्पित है। राष्ट्र की विचारधारा से जुड़ा है। जिनके मन में इस देश के लिए पीड़ा है। ऐसे लोग जो सेना पर अंगुली नहीं उठाते हैं। पत्थरबाजों का समर्थन नहीं करते हैं। कहा कि हम ऐसे लोगों का समर्थन करते हैं। समाज में हिंदुत्ववादी विचारधारा का तेजी से प्रचार-प्रसार बड़ा है। भले वह संघ के कार्यकर्ता ना हो लेकिन प्रखर हिंदूवादी हमसे ज्यादा हिंदुत्व का एजेंडा चलाते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में हुई थी। तब से संघ लगातार समाज के निर्माण में अपनी महती भूमिका निभा रहा है। संघ का मतलब है सज्जन लोग जो लोग सज्जन संघ के ही हैं। इसी क्रम में संघ के जिला कार्यवाह अश्वनी शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर विभाग प्रचार प्रमुख श्याम सुंदर जिला प्रचार प्रमुख विनोद सिंह प्रचारक राघवेंद्र प्रचार टोली आनंद सिंह सहित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सेवक पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।