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श्रीराम जन्मभूमि सुलह प्रस्ताव को ब्रेक, इनके अयोध्या में प्रवेश पर प्रतिबंध की मांग

श्रीराम जन्मभूमि न्याय के संत ने दिया बड़ा बयान, समझौते की कोशिशों पर लग सकता है ग्रहण

बस्तीMar 04, 2018 / 02:51 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

Muslim Ulema refused to support Shri Ravishankar Effort Ram mandir

Shri Shri Ravishankar

गोरखपुर। एक तरफ सरकार श्रीराम जन्मभूमि के विवाद को कोर्ट के बाहर सुलझाने के लिए लगी हुई है। इसके लिए श्रीश्री रविशंकर भी आए दिन दोनों पक्षों को एक साथ लाकर बातचीत कराने की कोशिश कर रहे। तो उधर, राममंदिर आंदोलन की लड़ाई लड़ रहे संतों ने ही इस आध्यात्मिक गुरु की खिलाफत शुरू कर दी है।
भाजपा के पूर्व सांसद व श्रीराम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य रामविलास वेदांती ने श्रीश्री रविशंकर को अयोध्या में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर डाली है। उन्होंने श्रीश्री पर सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का आरोप लगाया है। कहा कि एक एनजीओ वाला क्या जाने धर्म की बातें और आस्था का मतलब।
श्री वेदांती ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर व्यापारी हैं। आर्ट आॅफ लिविंग नाम का एनजीओ चलाते हैं। श्री राम जन्म भूमि को भी वह एनजीओ समझ रहे हैं। अयोध्या के साधु-संत कभी भी उनको अयोध्या में व्यापार करने नहीं देंगे। डाॅ.वेदांती ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर किसी भी देवी-देवता को नहीं मानते हैं। उनको कोई मंदिर ? या मठ तक नहीं है। उनको किसी भी ईश्वर में आस्था नहीं है, ऐसा व्यक्ति श्रीराम के प्रति कैसे आस्थावान हो सकता है।
गोरखनाथ मंदिर में तीन दिनों तक प्रवास किए डाॅ.वेदांती ने कहा कि श्रीश्री रविशंकर या उनकी संस्था का राम मंदिर आंदोलन से कोई लेना देना नहीं है। श्रीराम मंदिर का मसला अयोध्या के संतो, देश के संतों, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा ने प्रमुखता से उठाया। आडवाणी ने सोमनाथ से रथयात्रा भी निकाली। इस पूरे आंदोलन में कभी भी कहीं भी श्रीश्री रविशंकर नहीं दिखे। वह अचानक से क्यों इस मामले में कूद पड़े हैं। ऐसी दखलंदाजी संत समाज कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि वह बेवजह राममंदिर के निर्माण में विवाद पैदा कर रहे हैं। वसीम रिजवी ने इस मामले में बढ़िया प्रस्ताव दिया है। संत समाज इस समझौते के प्रस्ताव पर अमल कर सकता है। उन्होंने कहा कि वसीम रिजवी मीरबाकी के खानदान के हैं जिन्होंने मस्जिद बनवाई थी। लेकिन श्रीश्री नहीं चाहते हैं कि अयोध्या में मंदिर बने।

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