इसी बीच किसी की सूचना पर पुलिस भी वहां पहुंच गई। लेकिन पुलिस को देखते ही लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। लोग आक्रोशित हो गए। देखते ही देखते उनका गुस्सा भड़क गया। गुस्साएं लोगों ने पुलिस को दौड़ा लिया। पुलिस की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया गया। घटना के बारे में जानकारी होने पर क्षेत्रीय विधायक संगीता यादव भी पहुंची लेकिन लोगों ने उनको भी लोगों ने दौड़ा लिया। वह किसी तरह वहां से निकल सकीं।
लोगों का आक्रोश बढ़ता देख भारी मात्रा में फोर्स बुला ली गई। जिले के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। लोग शव को रखकर गुस्से का इजहार कर रहे थे। पुलिस ने लोगों को हटाने केलिए लाठीचार्ज कर दिया। दौड़ा-दौड़ाकर लोगों की पिटाई करनी शुरू कर दी। आंसू गैस के गोले छोड़े गए। करीब तीन घंटें की मशक्कत के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लिया। परिवारीजन को भी पुलिस अपने साथ लेकर गई। तनाव को देखते हुए गांव तथा आसपास के क्षेत्रों में पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया। रात भर निगहबानी होती रही।
परिवार पर खतरा और घर के दो-दो लोगों की हत्या के बाद जयहिंद का परिवार दहशत में जीता था। आरोपियों के जेल में नहीं होने से इन लोगों का डर स्वभाविक था। वह अपने परिवार पर खतरा को देखते हुए राइफल लेकर चलते थे। लेकिन मंगलवार को वह बिना असलहा ही गोरखपुर गए हुए थे। शायद यह उनकी आखिरी भूल थी। लौटते वक्त निहत्थे पिता-पुत्र पर बदमाशों ने गोलियां बरसा दी।