आक्सीजन सप्लाई बाधित होने के बाद करीब तीन दर्जन मासूम बच्चों की जान चली गई। करीब डेढ़ दर्जन व्यस्क व्यक्तियों की भी मौत हुई। इसके बाद चारों ओर हाहाकार मच गया। पहले तो सरकार ने इस मामले को दबाने की कोशिश की लेकिन नेशनल-इंटरनेशनल मीडिया की सुर्खियां बनने के बाद मामला तूल पकड़ा। अगले दिन बीआरडी मेडिकल काॅलेज पहुंचे सरकार के सीनियर मंत्री व सरकार की ओर से नामित प्रवक्ता डाॅ.सिद्धार्थनाथ सिंह ने हर साल के आंकड़े दिखाते हुए अगस्त महीने में मौतों को सामान्य आंकड़ा बताने की कोशिश में लगे रहे। उन्होंने यह कह दिया कि अगस्त में तो मौतें होती ही रहती हैं। उनके बयान पर जब सरकार की किरकिरी शुरू हुई तो आनन-फानन में जांच कमेटी गठित हुई। फिर जांच के बाद डीजीएमई केके गुप्ता ने नौ आरोपियों के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज कराई। बाद में यह केस गोरखपुर ट्रांसफर कर दिया गया। इसके बाद कुछ की गिरफ्तारियां हुईं तो कुछ ने कोर्ट में सरेंडर किया। फिर कोर्ट कचहरी का दौर शुरू हुआ। करीब आठ महीने से लोकल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट तक सभी जमानत की गुहार लगा रहे लेकिन सभी की याचिका खारिज हो गई। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आक्सीजन सप्लायर मनीष भंडारी को जमानत दे दी।