इंद्रहास पांडे बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ 1998 में पहली बार सांसद बने। तब गोरखनाथ मंदिर में कुछ टाइल्स टूट गए थे। मंदिर के मरम्मत का काम करता था। करीब 25 साल से गोरखनाथ मंदिर में काम करता था। उसे टायल्स के मरम्मत का काम का जिम्मा दिए। काम खत्म करने के उसने 20 हजार का बिल दिया। उसे बिल का भुगतान भी कर दिया गया। इसके बाद योगी आदित्यनाथ खुद काम को देेखने गए। उन्होंने जब देखा तो कहा कि आपने जितने का काम किया उससे 40 से 50% अधिक पैसा लिया।
इंद्रहास पांडे ने आगे बताया कि जब योगी आदित्यानाथ ने जब टाइल्स को दोबारा हटवाकर काम देखा तो भ्रष्टाचार का पता चला। इसके बाद टाइल्स के मरम्मत का काम करने वाले ने स्वीकार किया कि 13 हजार ही खर्च हुए। 7 हजार रुपए अधिक लिया है। इसके बाद दो हजार मजदूरी का पैसा काटकर 5 हजार रुपए वापस किया।
इसी तरह इंद्रहास पांडे ने बताया कि योगी आदित्यनाथ सांसद थे तो क्षेत्र में भी विकास काम कराते थे, उसमें से एक भी रुपए कमीशन नहीं लेते थे। योगी आदित्यनाथ अपने काम के प्रति बहुत ईमानदार और कानून के अनुसार करने वाले हैं।
इंद्रहास पांडे बताते हैं कि साल 2007 योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया था। योगी आदित्यनाथ भाजपा के सांसद थे। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा था कि कानून को अपना काम करने दीजिए। भाजपा कार्यकर्ताओं ने कोई प्रदर्शन नहीं किया था, लेकिन हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता भड़क गए थे ट्रेन तक जला दिया था । हिंदू युवा वाहिनी को धरना प्रदर्शन करता देख भाजपाई भी शामिल हो गए थे। जेल से आने के बाद योगी हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं को बहुत फटकार लगाई थी। दोबारा ऐसा नहीं करने की हिदायत दी।