भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अध्ययन में मिश्रित खुराक के पाॅजिटिव रिजल्ट मिले हैं। सिद्घार्थनगर के उन 18 लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर मिली है जिन्हें स्वास्थ कर्मियों की गलती से दो बार अलग-अलग कंपनियों कोविशील्ड और कोवैक्सीन के डोज लग गए। ये मामला सिद्घार्थनगर के शोहरतगढ़ में सामने आया था, जहां के 18 लोगों को जब कोरोना से बचाव के लिये पहला डोज दिया गया तो उन्हें कोविशील्ड का टीका लगा। पर स्वास्थ कर्मियों की लापरवाही के चलते दूसरे डोज में कोवैक्सीन का टीका लगा दिया गया।
इस बात का खुलासा होने के बाद वो लोग काफी घबराए हुए थे। आईसीएमआर की टीम ने सभी लोगों के दो-दो सैम्पल लेकर जांच के लिये पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलाॅजी में भेजा गया। आरएमआरसी के डायरेक्टर डाॅ. रजनीकांत के अनुसार अध्ययन के लिये तीन समूहों के नमूने लिये गए। कोविशील्ड और कोवैक्सीन के दोनों डोज लगवाने वाले 40-40 लोगों के दो बार नमूने लिये गए। पहला कोविशील्ड और दूसरा कोवैक्सीन का डोज लेने वाले 18 लोगों के नमूने लिये गए।
चार जून को पहला, 11 जून को दूसरा नमूना लिया गया। तीसरा 180 दिन और चौथा नमूना 365 दिन यानि एक साल के बाद लिया जाएगा। एनआईवी की टीम सभी नमूनों की अलग-अलग जांच करेगी। इसके अध्ययन के नतीजे भी अलग-अलग ही जारी किये जाएंगे, ताकि शरीर में समय के साथ होने वाले बदलावों के बारे में भी पता चल सके। उन्होंने बताया कि पहले नमूनों की जांच में सभी 18 लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी पाई गई है और शरीर में भी किसी तरह का बदलाव नहीं नोटिस हुआ। सभी नमूनों का अध्ययन एक साल में पूरा होगा। जिस तरह अब तक दो अलग-अलग वैक्सीन लेने वालों के शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं दिखा और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अच्छी मिली इसी तरह अगर मिश्रित डोज लेने का फार्मूला आगे भी सुरक्षित मिला तो लापरवाही के चलते हुई भूल से एक नई राह निकल सकती है।