गुलरिया थाना क्षेत्र के झुंगिया गांव का निवासी राकेश यादव अपराध की दुनिया में जाना पहचाना नाम है। 90 के दशक से पहले अपने पिता के साथ दूध का कारोबार करने वाले राकेश यादव ने कम उम्र में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया था। 90 के दशक में उसने तत्कालीन विधायक ओमप्रकाश पासवान की एक चुनावी जनसभा के दौरान दिनदहाड़े बम मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त ब्रह्मा यादव के साथ राकेश को भी नामजद किया गया, लेकिन बाद में वह कोर्ट से रिहा हो गया।
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हत्याकांड के बाद बढ़ा दबदबा, जमीन के कारोबार में डाला हाथहत्याकांड के बाद राकेश अपराध की दुनिया में किसी परिचय का मोहताज नहीं था, बस इसी का फायदा उठाते हुए उसने जमीन के कारोबार में हाथ डालना शुरू कर दिया। जमीनों पर कब्जा करना, जमीन के एवज में कमीशन लेना और प्रॉपर्टी डीलरों को बगैर अपना कमीशन लिए काम ना करने देना उसका पेशा हो गया। इस अवैध काम में इसने खूब धन कमाया। माफिया के इस काले धंधे में चार चांद लगाने का काम तब की तत्कालीन सरकारों ने भी किया।
2019 में मारपीट, बलवा और हत्या के प्रयास के एक मामले में जमानत पर चल रहा था माफिया राकेश यादव। आरोप है कि राकेश यादव के इशारे पर् ही गुर्गे विपिन सिंह ने प्रॉपर्टी डीलर छोटू प्रजापति की हत्या का प्रयास किया था और पुलिस के हाथों मुठभेड़ में मारा गया था।उक्त मामले में जमानत पर रिहा होने के बाद राकेश ने मुख्य गवाह छोटू प्रजापति को गवाही न देने के लिए जान से मारने की धमकी दी थी।
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शिकायत के बाद दिसंबर 2022 में राकेश पर गुंडा एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था उस वक्त भी राकेश फरार हो गया था और बाद में अपनी जमानत खारिज कराकर पुलिस को चकमा देते हुए कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। बाद में उसे जिला बदर करते हुए देवरिया जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।देवरिया जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद राकेश के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज हुआ। इस बार एक व्यक्ति ने जमीन कब्जा करने और जान से मारने की धमकी का मुकदमा दर्ज कराया। जिसके बाद से ही पुलिस राकेश की सरगर्मी से तलाश कर रही थी कि इसी बीच शनिवार को उसने दोबारा शातिराना तरीका से अपनी जमानत खारिज कराते हुए कोर्ट के समक्ष सरेंडर कर पुलिस को फिर से सिर्फ हाथ मलने पर मजबूर कर दिया।
जिस तरह उसने पुलिस को चकमा देते हुए 2 बार अपनी जमानत निरस्त कराकर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। राकेश यादव कितना दिमागदार और शातिर है, इसका पता उसके इस मामले से भी चलता है, जहां उसने अपने छोटे भाई और उसकी पत्नी को अपने राजनीतिक और अपराधिक रसूख का फायदा उठाते हुए फर्जी दस्तावेज के आधार पर शिक्षा विभाग में नौकरी दिला दी।
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दोनों महाराजगंज में नौकरी कर रहे थे कि इसी बीच माफियाओं और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच के आदेश हुए और यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया। फिलहाल दोनों पति पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज है मामले की जांच चल रही है।जांच हेतु नोडल अधिकारी बनाए गए एसपी नार्थ मनोज कुमार अवस्थी ने बताया कि राकेश यादव के अपराध और काली कमाई की कुंडली खंगाली जा रही है, जीडीए यानी गोरखपुर डेवलेपमेंट अथॉरिटी से भी उसकी जमीन और मकान का ब्योरा मांगा गया है। जांच के बाद अवैध संपत्ति और प्रॉपर्टी को भी जब्त किया जाएगा। उसके खिलाफ चल रहे मुकदमे की पैरवी कर सख्त से सख्त सजा दिलाने की कोशिश की जा रही है।