गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय के विचारों और सिद्धांतों को गांव-गांव पहुंचाने में डीडीयू का दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ अभियान चलाएगा। शोध पीठ के द्वारा सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। दीनदयाल उपाध्याय के विचारों व सिद्धांतों को धरातल पर उतारना शोध पीठ का उद्देश्य होना चाहिए। दीनदयाल जी के विकास की संकल्पना में समाज के अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति केन्द्र में रहा है, उसी तरह शोध पीठ भी यही केन्द्र मानकर
काम करेगी।
ये विचार दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विवि के कुलपति प्रो.वीके सिंह के हैं। कुलपति विवि के पूर्वांचल संग्रहालय में दीनदयाल शोध पीठ की गतिविधियों व कार्यक्रमों के परिचय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दीनदयाल की संकल्पना साकार करने को पीठ गांव स्तर तक गोष्ठियों व जागरण अभियान चलाएगी। सामाजिक कुरीतियों बाल विवाह, कन्याभू्रण हत्या, दहेज प्रथा, छुआछूत आदि के खिलाफ भी गांवस्तर पर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी की तरह दीनदयाल का चिंतन अर्थतंत्र के विकेन्द्रीकरण एवं स्वदेशी पर केन्द्रित है। उनका मानना था कि आयातित संसाधन और आयातित विचार देश का कभी कल्याण नहीं कर सकते। विकास की अवधारणा केवल उत्पादन बढ़ाना नहीं बल्कि व्यक्ति की अंर्तनिहित क्षमता व दक्षता का प्रस्फुटन है।
पीठ के समन्वयक प्रो. केएन सिंह ने कहा कि दीनदयाल के सिद्धांतों को उपागम मानकर अर्थतंत्र के विविध प्रखंडों में, जैसे कृषि, उद्योग व व्यापार आदि पर स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्पन्न होने वाली समस्याओं और चुनौतियों पर चर्चा, संगोष्ठियां और कार्यशाला आदि आयोजित किए जाएंगे। पंडित दीनदयाल का कथन था कि अस्पृश्यता पाप है मगर राजनीतिक अस्पृश्यता महापाप है। यह पीठ हर प्रकार के राजनीति पूूर्वाग्रहों व दुराग्रहों से निरपेक्ष रहकर हर प्रकार के विचारों पर मंथन करेगी। मंथन से प्राप्त निष्कर्षों को राष्ट्रहित में क्रियान्वयन कराने का प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि समग्र विकास की दृष्टि में पीठ एक गांव का चयन कर सर्वेक्षण करेगी। इस गांव को समस्त योजनाओं से पूर्ण कराया जाएगा।
प्रो. नरेश भोक्ता ने कार्यक्रम में आए अतिथियों के प्रति आभार जताया। संचालन प्रो. संजीत गुप्ता ने किया।
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