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गोरखपुर

ऐसे होती है मतगणना…चूक की कोई गुंजाइश नहीं

लोकसभा चुनाव का पर्व समाप्त होने के बाद अब चार जून को होने वाली मतगणना पर पूरे देश की निगाह टिकी है। ऐसे होती है मतगणना हाल में होने वाली हर प्रक्रिया।

गोरखपुरJun 03, 2024 / 11:11 pm

anoop shukla

लोकसभा चुनाव 2024 के सातों चरण के मतदान एक जून को खत्म हो गए, अब नतीजे आने की भी उलटी गिनती शुरू हो गई है। उम्मीदवारों की किस्मत जिस EVM में बंद है, वो कड़ी सुरक्षा के बीच स्ट्रांग रूम में रखे हैं। जाने चार जून को मतगणना कक्ष में होने वाली चरणबद्ध प्रक्रियाओं को।
जानिए कौन खोलता है स्ट्रांग रूम का ताला

जिस दिन मतगणना होती है, उस दिन सुबह 7 बजे के करीब चुनाव लड़ रहे सभी दलों के उम्मीदवारों या उनके प्रतिनिधियों की मौजूदगी में स्ट्रांग रूम का ताला खोला जाता है। इस दौरान रिटर्निंग ऑफिसर और चुनाव आयोग के स्पेशल ऑब्जर्वर भी मौजूद रहते हैं और वही ताला खोलते हैं। इस दौरान पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाती है।
मतगणना की प्रक्रिया

मतगणना के लिए ईवीएम की कंट्रोल यूनिट काउंटिंग वाली टेबल पर लाई जाती है। इसकी निगरानी सीसीटीवी कैमरों और वीडियोग्राफी से होती है।टेबल पर रखने के बाद हर एक कंट्रोल यूनिट की यूनिक आईडी और सील का मिलान किया जाता है, फिर इसे हर उम्मीदवार के पोलिंग एजेंट को भी दिखाया जाता है। इसके बाद कंट्रोल यूनिट में एक बटन दबाने के बाद हर उम्मीदवार का वोट EVM में उसके नाम के आगे दिखने लगता है।
रैंडम तरीके से एलॉट होता है हॉल और टेबल

हर एक मतगणना केंद्र के एक हॉल में कुल 15 टेबल लगी होती है।इसमें 14 टेबल काउंटिंग के लिए और एक टेबल रिटर्निंग ऑफिसर के लिए होती है, कौन सा कर्मचारी किस टेबल पर काउंटिंग करेगा, ये बहुत सीक्रेट रखा जाता है, जिस दिन मतगणना होती है, उस दिन सुबह हर जिले का निर्वाचन अधिकारी रैंडम तरीके से कर्मचारियों को हॉल और टेबल अलॉट करता है।
इन्हे होती है मतगणना कक्ष के अंदर जाने की अनुमति

चुनाव आयोग के मुताबिक मतगणना केंद्र के प्रत्येक हॉल में हर टेबल पर उम्मीदवार की तरफ से एक एजेंट मौजूद रहता है। किसी एक हॉल में 15 से ज्यादा एजेंट नहीं हो सकते हैं। प्रत्येक उम्मीदवार अपने एजेंट का चयन खुद करता है और जिला निर्वाचन अधिकारी को उनका नाम, तस्वीर और आधार कार्ड शेयर करता है।
मतगणना केंद्र के अंदर मतगणना कर्मचारी, रिटर्निंग ऑफिसर, सुरक्षा कर्मी और एजेंट ही जा सकते हैं. जब तक वोटों की गिनती पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसी भी उम्मीदवार के एजेंट को बाहर जाने की इजाजत नहीं मिलती है. ड्यूटी पर तैनात लोगों के आलावा कोई भी मोबाइल अंदर नहीं ले सकता है। परिणाम की आधिकारिक घोषणा के बाद ही अगर एजेंट को गड़बड़ी की आशंका लगती है तो वो रिकाउंटिंग की मांग कर सकता है।
45 दिन तक स्ट्रांग रूम में रखा रहता है EVM

मतगणना पूरी होने के बाद ईवीएम को दोबारा स्ट्रांग रूम में रख दिया जाता है। नियम के मुताबिक काउंटिंग के 45 दिनों तक ईवीएम को स्ट्रांग में रूम में ही रखना होता है, क्योंकि कोई भी उम्मीदवार रिकाउंटिंग की मांग करता है तो आधिकारिक आदेश के बाद वोटों की गिनती दोबारा की जा सके।इसके बाद ईवीएम को दूसरी जगह भेज दिया जाता है।

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