चौरीचौरा क्षेत्र के चौरा में राजेंद्र का भरा पूरा परिवार है। वह अपना व्यवसाय कर सबका जीवनयापन करते थे। घर में पत्नी के अलावा चार बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी की शादी मार्च में उन्होंने तय कर रखी थी।
बीते दिनों सड़क निर्माण के लिए सरकारी जमीन के दोनों तरफ हुए निर्माण को ढहाया जा रहा था। इस जद में राजेंद्र का घर व दुकान भी आ गया। जिम्मेदारों ने राजेंद्र की दुकान व मकान दोनों को ढहा दिया।
अपने जीवन का आधार ध्वस्त होते देख राजेंद्र काफी व्यथित हो गए थे। पूरा घर सदमें में था। घर का मुखिया होने के नाते राजेंद्र को गहरा आघात लगा और करीब एक सप्ताह में ही बिस्तर पकड़ लिए। बेटे-बेटियों की चिंता सताने लगी और यह चिंता लिए वह दुनिया से विदा हो गए। घर-दुकान तोड़े जाने सेे चिंतित परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
बीते दिनों सड़क निर्माण के लिए सरकारी जमीन के दोनों तरफ हुए निर्माण को ढहाया जा रहा था। इस जद में राजेंद्र का घर व दुकान भी आ गया। जिम्मेदारों ने राजेंद्र की दुकान व मकान दोनों को ढहा दिया।
अपने जीवन का आधार ध्वस्त होते देख राजेंद्र काफी व्यथित हो गए थे। पूरा घर सदमें में था। घर का मुखिया होने के नाते राजेंद्र को गहरा आघात लगा और करीब एक सप्ताह में ही बिस्तर पकड़ लिए। बेटे-बेटियों की चिंता सताने लगी और यह चिंता लिए वह दुनिया से विदा हो गए। घर-दुकान तोड़े जाने सेे चिंतित परिवार पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा है।