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गोरखपुर

इतना आसां नहीं होता अटल होना

अटल सबके हृदय में रहेंगेः योगी आदित्यनाथ
 

गोरखपुरSep 17, 2018 / 02:15 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

Kavyanajli

इतना आसां नहीं होता अटल होना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल जी का हमेश यही प्रयास रहता था कि शासन की योजनाएं आमजन तक पहुंचे और उनको इसका लाभ मिले, इसके पीछे भी उनका कवि हृदय था। अटल जी सार्वजनिक जीवन से लगभग 11 वर्ष दूर रहे, किसी भी कार्यक्रम में भाग भी नही लिया लेकिन उनकी मृत्यु पर हर व्यक्ति दुखी हुआ यह उनके महान व्यक्तित्व की पहचान है।
मुख्यमंत्री योगी रविवार को अटल स्मृति काव्यांजलि के उद्धघाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। रैम्पस स्कूल परिसर में आयोजित इस काव्यांजलि का शुभारंभ अटलबिहारी वाजपेयी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि स्व. वाजपेयी का कृतित्व एवम् व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत है। उन्होंने काव्यांजलि कार्यक्रम में उपस्थित कवियों को अंगवस्त्रम भेंटकर सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी बाजपेयी के एक माह पूर्ण होने पर मासिक श्रद्धांजलि का कार्यक्रम प्रदेश के 403 स्थानों पर तथा देश के 4300 स्थानों पर आयोजित हुआ है।
कविता पाठ करने वाले कवियों में पी.एन. श्रीवास्तव, अर्चना मालवीया, नरसिंह माधव चन्द, प्राचि राज, राकेश राज, अर्चना वर्मा, चारू सिंह, चेतना पाण्डेय व प्रज्ञा आदि शामिल रहे।
सदर विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस मौके पर एम.एल.सी. देवेन्द्र प्रताप सिंह, ग्रामीण विधायक विपिन सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष उपेन्द्र शुक्ल, क्षेत्रीय अध्यक्ष डॉ. धर्मेन्द्र सिंह, महानगर अध्यक्ष राहुल श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।
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कौन कहता है मर गया है अटल, बनके खुशबू बिखर गया है अटल

शायर खुर्शीद आलम कुरैशी ने ‘कौन कहता है मर गया है अटल, बनके खुशबू बिखर गया है अटल’ सुनाकर सबको श्रद्धांजलि अर्पित की।
कवि राजेश राज ने ‘अटल नहीं कोई यहां, मानव हो या संत, पंछी पिंजरा छोड़ कर उड़ चला अनंत’ सुनाया। तो डाॅ.रंजना वर्मा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी की कविता ‘कदम मिला कर चलना होगा’ सुनाकर स्मरण कराया।
कवि नरसिंह बहादुर चन्द ने ‘फिर कैसा आराम, मित्र मत बोलो अभी विराम’ को सुनाकर उनको श्रद्धासुमन अर्पित किया। केशव पाठक ने वो दूर गगन पर चमक रहा, धरती का अटल सितारा है’ सुनाया तो डॉ. चारुशीला सिंह ने शब्दकोश में मेरे ऐसे शब्द नहीं जिससे गढ़ दूं मैं दुर्लभ व्यक्तित्व को का सस्वर पाठ किया। डाॅ.चेतना पांडेय ने ‘खुद से लड़ पड़ना, फिर सफल होना, रह के कीचड़ में भी कमल होना, वैसे जीकर भी जान न पाओंगे, इतना आसां नहीं होता अटल होना’ सुनाकर सबको भावविभोर कर दिया। अर्चना मालवीय ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पक्तियां हिंदू तन-मन हिंदू जीवन’ का पाठ किया। तो प्राचीराज ने अरमानों को ढलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा। तो माही शर्मा ने गीत नया गाता हूं।
संचालन रीता श्रीवास्तव ने किया।
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कवियों को अंगवस्त्रम भेंट किया
काव्यांजलि में कवियों पीएन श्रीवास्तव, अर्चना मालवीय, नरसिंह माधव चन्द, प्राची राज, राकेश राज, डाॅ. रंजना वर्मा रैन, चारु आशा सिंह, चेतना पाण्डेय, प्रज्ञा, खुर्शीद आलम खुर्शीद आदि को अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया गया।

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