हियुवा से बागी होने के बाद बनाया था अपना संगठन 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद हियुवा के तत्कालीन जिला संयोजक विजय कुमार दुबे व तत्कालीन विधायक शंभू चैधरी की हियुवा संरक्षक योगी आदित्यनाथ के बीच तल्खियां बढ़ गई थी। अचानक से संगठन के खिलाफ दोनों नेताओं ने बगावत कर दी। उधर, हियुवा ने दोनों नेताओं को निकाल दिया। इसके बाद से विजय दुबे ने एक संगठन बना लिया। कुछ दिनों तक इसी संगठन के बैनर तले हियुवा के खिलाफ झंड़ा बुलंद किए रहे। 2010 में हुए पंचायत चुनावों में विजय दुबे की कांग्रेस के साथ नजदीकियां बढ़ी। तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह के साथ विजय दुबे आए और इन्होंने कांग्रेस का दामन थाम लिया। पंचायत चुनाव में विजय दुबे ने अपनी पत्नी को खड्डा ब्लाक प्रमुख का चुनाव लड़ाया और वह चुनाव जीत गई। इसके बाद 2012 के हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने विजय दुबे को खड्डा से टिकट दिया। विजय दुबे खड्डा से विधायक चुने गए। लेकिन धीरे धीरे कांग्रेस से दूर होते गए। 2017 विधानसभा चुनाव के पहले विजय दुबे भाजपा के करीब होते हुए। राज्य सभा व एमएलसी के चुनावों में उन्होंने भाजपा प्रत्याशी को वोट किया। इसके बाद कांग्रेस ने उनको निलंबित कर दिया। हालांकि, इसी दौरान वह भाजपा की सदस्यता ले लिए। विधानसभा के टिकट की आस लगाए विजय दुबे को निराशा हाथ लगी लेकिन पार्टी में वह बने रहे। 2019 के चुनाव में अचानक से पार्टी ने उनको अपने सिटिंग एमपी का टिकट काटकर प्रत्याशी बना दिया।
कुशीनगर में बदल गया भाजपा का चेहरा, अन्य पर सिटिंग एमपी पर भरोसा गोरखपुर जिले के बांसगांव सुरक्षित सीट पर निवर्तमान सांसद कमलेश पासवान को प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि महराजगंज संसदीय सीट पर पंकज चैधरी चुनाव लड़ेंगे। डुमरियागंज से जगदंबिका पाल चुनाव मैदान में होंगे। कुशीनगर से एमपी राजेश पांडेय की जगह विजय कुमार दुबे चुनाव मैदान में होंगे। सलेमपुर से निवर्तमान एमपी रविंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ेंगे। बस्ती से निवर्तमान सांसद हरीश द्विवेदी भाजपा के फिर प्रत्याशी होंगे।
गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी का अभी चयन नहीं हो सका है। जबकि संतकबीरनगर में जूताकांड से चर्चित सांसद शरद त्रिपाठी पुनः प्रत्याशी होंगे या नहीं इस पर असमंजस बरकरार है। कलराज मिश्र द्वारा खाली की गई देवरिया संसदीय सीट पर भी निर्णय नहीं हो सका है।