अभी भी सउदी अरब में फंसे हैं कई युवा
बेहतरी की उम्मीद में विदेश गए ढेर सारे युवा वहीं फंस गए हैं। किसी तो कंपनी ने गलत ढंग से बंधक बनाया हुआ है तो कोई टूरिस्ट वीजा पर जाकर फंस गया है। पिपराइच क्षेत्र के लालबहादुर का भी मामला कुछ इसी तरह का है। उसकी नियोक्ता कंपनी ने उसका वीजा-पासपोर्ट रख लिया है। वह किसी तरह इधर-उधर भटककर अपना गुजारा कर रहा है। इधर परिवारीजन परेशान हैं। वे लोग पीएम-सीएम से लेकर हर जरूरी व्यक्ति से संपर्क कर चुके हैं लेकिन कोई राहत नहीं मिल सका है। इसी तरह इराक में भी गोरखपुर के आठ युवक एक कंपनी की गिरफ्त में हैं। विदेश भेजने वाले ने मोटी रकम वसूल कर इनको मौत के मुहाने पहुंचा दिया। अब इराक में कंपनी द्वारा इन युवकों से जानवरों जैसा बर्ताव कर काम करा रही है। परिवारीजन परेशान हैं।
पहले भी हो चुकी है दर्जन भर से अधिक कार्रवाईयां ऐसा नहीं है कि पुलिस या एसटीएफ के हत्थे ये फर्जीवाड़े नहीं चढ़ते। अकेले गोरखपुर में दर्जन भर ऐसी कार्रवाईयां हो चुकी है जिसमें बड़े पैमाने पर विदेश भेजने के नाम पर ठगी का खुलासा हो चुका है। अभी कुछ महीने पहले भी एसटीएफ ने एक विदेश भेजने वाले फर्म के कार्यालय पर छापामारकर सौ से अधिक पासपोर्ट बरामद किए थे।
गहरी है इन कबूतरबाजों की जड़ें विदेश भेजने के नाम पर ठगी करने वाले कबूतरबाजों की जड़ें काफी गहरी है। महानगर से गांव-कस्बों तक इनकी पैठ है। चेन्नई, मुंबई, दिल्ली जैसे महानगरों से लेकर गोरखपुर समेत पूर्वांचल तक इनकी जड़ें गहरी है। छोटे शहरों या कस्बों व गांवों के आसपास आफिस खोलकर फर्जीवाड़े युवाओं को फांसते हैं और बड़े शहरों में बैठे गिरोह के सदस्यों की सहायता से लाखों का वारान्यारा करते हैं। हद तो यह कि ये लोग विदेशों में कई कंपनियों का वीजा और जरूरी कागजात भी हासिल कर लेते हैं। एक-दो लोगों को विदेश भेजने के बाद ये अपनी ठगी को मूर्त रूप देते हैं। बताया जाता है कि एक युवा बेरोजगार से एक लाख से लेकर तीन से चार लाख रुपये तक वसूलते हैं। फर्जीवाड़े की भनक न लगे इसलिए ये लोग इन रकमों को किश्तों में लेते हैं। चरणबद्ध तरीके से यह काम भी दिखाते हैं। कुछ लोगों को ये लोग फर्जी वीजा थमा कर फरार हो जाते तो कुछ लोगों को गलत तरीके से विदेश भेजकर फंसा देते हैं।
इस बार तो आईएस के प्रभाव वाले क्षेत्र में भेज रहे थे युवकों को एसटीएफ ने जिन लोगों को विदेश भेजने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के आरोप में गिरफ्तार किया है वह इस बार तो हद कर दिए थे। भारत सहित विभिन्न देशों द्वारा प्रतिबंधित कंपनी के लिए युवाओं का इंटरव्यू करा रहे थे। बताया जा रहा है कि यह कंपनी आईएस के प्रभावक्षेत्र में स्थित है। एसटीएफ के अनुसार सीरिया और इराक की कंपनी पर प्रतिबंध लगने के बाद इसका नेटवर्क टूट गया था। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित तमाम देशों के मजदूर नौकरी छोड़कर भाग गए थे। फिर कंपनी ने अपना नया ठिकाना दुबई को बनाया है। एसटीएफ के मुताबिक इनको (म्दबव) की जगह प्दबव कंपनी बनाई गई। इसके बाद भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई। दुबई से लेकर भारत तक में एजेंट खड़े किए गए। इस कंपनी में भारत से छह सौ युवकों कोे दुबई के माध्यम से इराक व सीरिया में भेजने की साजिश थी।
डाॅलर में वेतन मिलने का दिया था लालच प्रतिबंधित कंपनी में पहले 300 डाॅलर वेतन मिलता था। लेकिन अब पांच सौ अमेरिकी डाॅलर का लालच दिया जा रहा था। एजेंटों को भी कमीशन डाॅलर में ही भुगतान करने की बात कही गई थी। हर मजदूर के हिसाब से 15 हजार रुपये कमीशन बन रहा था। यूपी के विभिन्न जिलों सहित बिहार के पटना और नेपाल तक से इस कंपनी को मजदूरों की सप्लाई की जानी थी। इसके लिए अलग-अलग जगहों पर एजेंट बनाए गए थे जिनको काफी कमीशन मिलना था।