युवाओं को रोजगार से जोड़ने से पहले उनमें कौशल विकास जरूरी है। प्राय: छात्र-छात्राएं डिप्लोमा या डिग्री लेने के बाद भी किसी कार्य में दक्षता नहीं होने के कारण अपनी प्रतिभा के अनुरूप रोजगार नहीं हासिल कर पाते।
इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के बोर्ड ऑफ अप्रेंटिस ट्रेनिंग के उत्तरी क्षेत्र को जिम्मेदारी दी थी। इसके बाद बोर्ड ने एमएमएमयूटी प्रशासन को पत्र लिखा था। एमएमएमयूटी प्रशासन ने मामले को प्रबंध बोर्ड की बैठक में भी रखा था। प्रबंध बोर्ड ने इसे स्वीकृति दे दी है।
एमएमएमयूटी प्रशासन के मुताबिक, इसके अन्तर्गत हर वर्ष कुल 46 अभ्यर्थियो को अप्रेंटिसशिप के लिए चयनित किया जाएगा। अभ्यर्थियों को इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। अप्रेंटिस के लिए जरूरी नहीं कि छात्र एमएमएमयूटी का ही हो या तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई की हो। बीए, बीएससी, बीकॉम और अन्य डिप्लोमा धारकों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
अप्रेंटिस के दौरान छात्रों को विश्वविद्यालय के इंजीनियरिंग विभाग के सभी लैब में प्रशिक्षण का मौका होगा। उनकी रुचि के अनुसार उन्हें सम्बंधित विभाग और लैब आवंटित किए जाएंगे। यहां से प्रशिक्षण के बाद उन्हें रोजगार दिलाने की भी कोशिश की जाएगी।
अप्रेंटिस के दौरान छात्रों को 9-10 हजार रुपये का जो स्टाइपेंड दिया जाएगा, उसकी आधी राशि का भुगतान विश्वविद्यालय की ओर से किया जाएगा। इसी तरह आधी राशि बोर्ड ऑफ अप्रेंटिस ट्रेनिंग की ओर से दी जाएगी।
MMMUT कुलपति बोले एमएमएमयूटी के कुलपति प्रो.जे.पी.सैनी ने कहा कि बोर्ड ऑफ अप्रेंटिस ट्रेनिंग के सहयोग से कुल 46 डिप्लोमा और डिग्री धारकों को हर वर्ष अप्रेंटिस कराई जाएगी। स्टाइपेंड का आधी राशि विश्वविद्यालय और आधी राशि बोर्ड ऑफ अप्रेंटिस देगा। किसी भी संस्थान से उत्तीर्ण विद्यार्थी को अप्रेंटिस का मौका मिलेगा। वे अपनी विधा के अनुसार इंजीनियरिंग विभागों और लैब में अप्रेंटिसशिप पूरा कर सकेंगे।