दरअसल गंडक बैराज के वाल्मीकि नगर में 36 फाटक हैं, जिनमें से 18 फाटक बिहार और 18 नेपाल में पड़ते हैं। नेपाल ने वहां बैरियर लगा दिये। उसके इस रवैये के चलते इंजिनियरों को बैराज का निरीक्षण और वहां काम करने में परेशानी होने लगी। इसके अलावा बिहार के सिंचाई विभाग का स्टोर रूम भी गंडक बैराज पर ही है। गंडक बैराज की मरम्मत से लेकर रख रखाव की सारी ज़िम्मेदारी बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग की है। बावजूद इसके नेपाल ने पहली बार यहां बैरियर लगा दिये। इस बीच रविवार को बैराज से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी भी छोड़ा गया। नेपाल की इस हरकत पर बिहार के सिंचाई मंत्री ने भी हैरानी जतायी।
बैरियर बनाकर इंजिनियरों को रोके जाने के बाद नेपाल से बातचीत कर मामला सुलझाने की कोशिश शुरू हुई। भारत के दबाव के बाद आखिरकार नेपाल ने भारतीय इंजीनियरों को बैराज का निरीक्षण करने की अस्थायी अनुमति दे दी है, लेकिन इस मामले के स्थायी हाल के बिना यूपी बिहार पर मंडरा रहे बढ़ के खतरे को नहीं टाला जा सकता।
यूपी के प्रमुख अभियंता (बाढ़) सिंचाई एवं जल संसाधन एके सिंह के मुताबिक नेपाल के अधिकारियों से वार्ता जारी है। बिहार के इंजीनियरों को बैराज पर आने जाने की अनुमति मिल गयी है और नेपाल के तटबंधों की निगरानी भी लगातार हो रही है। यूपी बिहार में बाढ़ की स्थिति रोकने के लिए हर संभव उपाय किये जा रहे हैं।
बताते चलें कि नेपाल ने लॉक डाउन के बहाने भी गंडक बैराज की मरम्मत पर रोक लगा दी थी। इसके चलते गंडक नदी में नेपाल पर बने चारों तटबंधों (ए गैप, बी गैप, लिंक बांध व नेपाल बांध) की इस साल मरम्मत नहीं हुई। इसके अलावा मुख्य पश्चिमी गंडक नहर से इजाज़त न मिलने के चलते कीबिना मरम्मत के ही पानी छोड़ना पड़ा।
बैराज से पानी डिस्चार्ज करने की मैक्सिमम लिमिट 8.5 लाख क्यूसेक है। सिंचाई विभाग की मानें तो बैराज से चार लाख क्यूसेक पानी डिस्चार्ज होने पर भी नेपाल के तटबंधों को कोई खतरा नहीं होगा। फिलहाल डिस्चार्ज 90 हजार से 1.50 लाख क्यूसेक के बीच है। अगर ये डिस्चार्ज 5.50 लाख क्यूसेक के आसपास पहुंचा तो नेपाल के बांध ही नहीं कुशीनगर और महराजगंज के ज़्यादातर हिस्से बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।