रामलीला में सबसे पहली बार खड़ी बोली का प्रयोग गांव के अनपढ़ कलाकार (ताड़का बनने वाले ठगई राय) ने किया। ‘मार डालेंगीं, काट डालेंगीं‘ बोलकर सबको हैरत में डाल दिया था। तब मजाक के रूप में लिया गया यह वाक्य ही रामलीला को हिंदी में शुरू करने की प्रेरणा बना।
72 वर्षीय डॉ इंद्रजीत मिश्र, 65 वर्षीय पंडित नंदकिशोर दूबे की मानें तो अयोध्या से रामलीला देख गांव लौटे पंडित अयोध्या मिश्र ने श्रीरामचरित मानस का पाठ शुरू कराया। लेकिन खिचड़ी बाबा उर्फ सुुरजन मिश्र ने रामलीला कराना शुरू किया।
राम-सीता विवाह में गांव महिलाओं की भागीदारी रहती है। मंगलगीत गाने के लिए इनमें आज भी उत्साह है। विवाह के दिन मंच पर चढ़कर बाकायदा यह रामलीला की भागीदार बनतीं हैं। शादी-ब्याह में गाई जाने वाली गारी की परंपरा का निर्वहन, राम-सीता विवाहोत्सव को जीवंत करता है।