scriptठंडी में सुखविंदर के बीड़ी जलइले ने जिगर में ‘हौले-हौले’ जोश भरा तो कुर्सियों पर ही नाचने लगे गोरखपुरिए… | Singer Sukhwinder Singh live performance in Gorakhpur mahotsav | Patrika News
गोरखपुर

ठंडी में सुखविंदर के बीड़ी जलइले ने जिगर में ‘हौले-हौले’ जोश भरा तो कुर्सियों पर ही नाचने लगे गोरखपुरिए…

गोरखपुर महोत्सव में मशहूर गायक सुखविंदर सिंह ने खूब थिरकाया लोगों को

गोरखपुरJan 12, 2019 / 03:48 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

sukhwinder singh

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गोरखपुर महोत्सव की पहली शाम मशहूर सिंगर सुखविंदर सिंह के नाम रही। ठंड भरी शाम ज्यों ज्यों रात की चादर ओढ़ती जा रही थी सुखविंदर का जादू युवाओं के सिर चढ़ बोलता जा रहा था। अपनी खनकती आवाज से वह गोरखपुरियों के दिल में ‘हौले-हौले’ से ऐसे उतरते चले गए कि देर रात तक सब सुधबुध खो उनके गानों को सुनते रहे और उनके धुनों पर थिरकते रहे।
शुक्रवार की रात करीब साढ़े आठ बजे सुखविंदर सिंह ने मंच संभाला। ‘कर हर मैदान फतेह रे बंदे’ को सुनाकर उन्होंने प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ने का जोश भरा। इसके बाद उन्होंने अपने एक से बढ़कर एक हिट गाने सुना सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
कर हर मैदान फतेह रे बंदे के बाद उन्होंने हौले हौले हो जाएगा प्यार ओ सजना सुनाकर दिलों में प्यार के ज्वार को चरम पर पहुंचा दिया। इसके बाद उन्होंने आजा-आजा दिल निचोड़े सुनाया तो पूरा पंडाल तेज संगीत पर झूम उठा। इसके बाद तो यह सिलसिला थमने का नाम ही नहीं लिया। चल छैयां-छैयां पर तो युवा दर्शक अपनी कुर्सियों पर चढ़ नाचनेे-गाने लगे। फिर दर्द-ए-डिस्को सुनाकर उन्होंने युवाओं का जोश ठंडा होने नहीं दिया।
दर्द-ए-डिस्को के बाद सुखविंदर ने ओमकारा की प्रसिद्ध गीत बीड़ी जलइले जब शुरू किया तो पहली लाइन पर ही पूरा पांडाल उनके साथ नाचने-गाने को मजबूर हो गया।
महोत्सव के लाइव शो में सुखविंदर कई बार दर्शकों के पास जाने की कोशिश किए लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने ऐसा करने से रोका तो उन्होंने बच्चों को अपने मंच पर बुला लिया। फिर बच्चों के साथ उन्होंने करीब चार गाने सुनाए। उड़ी-उड़ी जाए, जय हो, चक दे इंडिया जैसे गानों पर उन्होंने दर्शकों का फुल डोज मनोरंजन तो किया ही अपने साथ बच्चों को नचाकर उनके लिए महोत्सव को यादगार बना दिया। बच्चों का साथ मिला तो सुखविंदर भी बच्चे बन गए और उनके साथ जमकर थिरके। ‘हुड़-हुड़ दबंग-दबंग’ सुनाया और बच्चों को डांस करके स्टेप काॅपी करने को कह खूब नचाया।
बीड़ी जलइले के पहले माफी मांगी

बीडी जलइले गाना जब सुखविंदर सिंह ने शुरू किया तो उन्होंने बाकायदा मंच से इस गाने की इजाजत मांगी।

महापुरुषों की मूर्तियों से प्रभावित हुए
मंच से सुखविंदर ने गोरखपुर के चैक-चैराहों पर लगी महापुरुषों की मूर्तियों की चर्चा की। उन्होंने बताया कि ऐसा बहुत ही कम जगहों पर देखने को मिला है कि हर चैराहे पर किसी न किसी महापुरुष की मूर्ति हो। उन्होंने कहा कि ऐसा दिल्ली में भी नहीं है। शहर में महापुरुषों की प्रतिमाएं देख बेहद सुखद अनुभूति हो रही।

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