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गोरखपुर

इंसेफेलाइटिस से नौनिहालों को बचाना है तो चूहे मारिये!

कृषि विभाग का दावा, चलाएगा जनजागरूकता अभियान

गोरखपुरSep 10, 2019 / 03:33 am

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

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सुनने में थोड़ा अटपटा लगेगा, लेकिन यदि आप इंसेफेलाइटिस और एईएस प्रभावित क्षेेत्र में निवास करते हैं तो आपको चूहों को मारना होगा। चूहों के मारकर ही आप इस बीमारी से अपने नौनिहालों को सुरक्षित कर सकते हैं। यह सोलह आने सच है। ऐसा यूपी सरकार का एक महकमा ही कह रहा हैझ।
शासन के निर्देश पर 02 सितम्बर से 30 सितम्बर तक संचारी रोग नियंत्रण अभियान चल रहा है। कृषि विभाग भी जन-सहभागिता को बढ़ावा दे रहा है। इसके लिए प्रचार प्रसार को माध्यम बनाया गया है। इसके माध्यम से लोगों की इंसेफेलाइटिस और एईएस से होने वाली हानियों को तो बताया ही जा रहा है, मानवीय जीवों पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों से भी अवगत कराया जा रहा है। अब कृषि विभाग ने आवासीय घरों एवं आसपास के क्षेत्रों में अनिवार्य रूप से कीट नियंत्रण अभियान चलाया जायेगा।
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जेई-एईएस के लिए चूहा-छछूंदर उत्तरदायी

जेई-एईएस रोग होने की कई वजहें हैं। सूअरों के अलावा गंदगी तो है ही, चूहे-छछूंदर भी हैं। कृषि विभाग का कहना है कि चूहा-छछूंदर भी इस रोग को बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों की राय में इन रोगों की रोकथाम के लिए चूहा एवं छछून्दर का भी प्रभावी नियंत्रण जरूरी है।
ऐसे करें नियंत्रित
चूहों को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण पक्का बनाएं। सम्भव हो तो ककंरीट तथा धातु से बने पात्रों में अन्न रखें। खेतों का समय-समय पर निरीक्षण एवं साफ सफाई करें। चूहे के प्राकृतिक शत्रुओं यथा बिल्ली, सांप, उल्लू, लोमड़ी, बाज एवं चमगादड़ आदि का संरक्षण करें।
घरों में यह करें प्रयोग

घर में चूहेदानी का प्रयोग करना श्रेयष्कर है। अगर दवाओं का प्रयोग करना है तो व्रोमोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखें और एल्युमिनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर उसे बन्द कर दें। इससे उससे निकलने वाली फास्फीन गैस से चूहे मर जाएंगे।
संयुक्त कृषि निदेशक संजय सिंह का कहना है कि क्षेत्रीय कार्मिको के माध्यम से जेई और एईएस रोग की रोकथाम के लिए संचारी रोग नियंत्रण अभियान में कृषि विभाग भी जुटा है।

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