बोत्रे वर्तमान में गोरखपुर में तैनात हैं। चप्पा चप्पा चरखा चले गाकर विदा लिया सुरेश वाडेकर ने शाम को करीब पौने छह बजे सुरेश वाडकर ने मंच संभाल ली। भजन से अपने कार्यक्रम की शुरूआत कर उन्होंने चिरपरिचित अंदाज में सबका मन मोहा। ओ रे राही इन्हें जाना है गुरुओं की नगरी सुनाकर माहौल को भक्तिमय बना दिया। फिर रामतेरी गंगा मैली का राम तेरी गंगा मैली हो गई सुनाई। इसके बाद से वह पूरे रौ में आ गए और प्रेम से भरे नगमों की बौछार शुरू कर दी। सबके दिलों की मुराद पूरी करते हुए अपना सुप्रसिद्ध गाना मैं हूं प्रेम रोगी मेरी दवा तो कराओ गाकर पूरे पांडाल को झूमा दिया। और इस दिल में क्या रखा है को उन्होंने गोरखपुर में तैनात आईपीएस अफसर रोहन प्रमोद बोत्रे के साथ गाया।
इसके बाद उन्होंने मेघा रे मेघा रे सुनाया तो दर्शक भी उनके प्यार भरे नगमों में पूरी तरह से खोने लगे। दर्शक दीर्घा से मशहूर गानों की फरमाइश आने लगी जिसे वह एक एक पूरा भी करते रहे। उन्होंने लगी आज सावन की फिर वो घड़ी है…, ऐ जिंदगी गले लगा ले तो उन्होंने अपने चाहने वालों की फरमाइश पर सुना डाली। फिर उन्होंने जब सपने में मिलती है कुड़ी मेरे सपने में मिलती है सुनाया तो तमाम दर्शक उनको साथ देते हुए नृत्य की मुद्रा में आ गए। फिर चप्पा चप्पा चरखा चले चलाकर माहौल को अपने चरम पर पहुंचाकर फिर आने का वादा कर विदा ले लिए।